Bihar Assembly Elections: सीवान जिले की सभी 8 सीटों पर होगी कांटे की टक्कर
पटना। बिहार में दूसरे चरण में 3 नवंबर को होने वाले चुनाव में राजनीतिक भविष्य तलाशने निकलने नए प्रत्याशी और अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके धुरंधरों की वजह से सीवान जिले के सभी 8 विधानसभा क्षेत्रों में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जन्मभूमि और कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए शुरू हुए राजेन्द्र सेवाश्रम के लिए प्रसिद्ध जीरादेई विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने निवर्तमान विधायक रमेश कुशवाहा की जगह कमला सिंह पर भरोसा जताया है, वहीं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने कई अपराधिक मामलों के आरोप में जेल में बंद अमरजीत कुशवाहा पर फिर से दांव लगाया है।
पूर्व विधायक आशा पाठक की बहू उगम पाठक निर्दलीय, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नवोदित विनोद तिवारी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राहुल द्रविड़ मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं। इस सीट पर 12 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। पिछले चुनाव में जदयू के कुशवाहा ने भाजपा की आशादेवी को 6091 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी।बाहुबली नेता मो. शहाबुद्दीन यहां से 2 बार विधायक रह चुके हैं।
सीवान विधानसभा क्षेत्र से चुनावी पिच पर जीत की हैट्रिक लगा चुके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के व्यासदेव प्रसाद की जगह पार्टी ने इस बार पूर्व सासंद ओम प्रकाश यादव को उम्मीदवार बनाया है। टिकट कटने से नाराज प्रसाद ने अपनी ही पार्टी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और निर्दलीय चुनावी संग्राम में उतर आए, हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा का समर्थन कर दिया है। इस सीट से भाजपा के यादव को चुनौती देने के लिए राजद ने पूर्व मंत्री अवध बिहारी चौधरी पर दांव लगाया है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अब्दुल रिजवान अंसारी भी चुनावी रणभूमि में डटे हैं। सीवान सीट से 14 प्रत्याशी प्रत्याशी चुनावी दंगल में भाग्य आजमा रहे हैं। इस क्षेत्र में सीवान शहर शामिल है, इसलिए चुनाव में व्यवसाई अहम भूमिका निभाएंगे। भाजपा के प्रसाद ने वर्ष 2015 में जदयू के बबलू प्रसाद को 3534 मतों के अंतर से परास्त किया था। उस चुनाव में चौधरी ने निर्दलीय किस्मत आजमाई थी लेकिन उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
सीवान विधानसभा सीट पर पिछले कई दशकों तक अवध बिहारी चौधरी का दबदबा रहा है। वर्ष 1985 के बाद से फरवरी 2005 तक लगातार 5 विधानसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की है। पूर्व सासंद जनार्दन तिवारी ने 4 बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। दरौली (सु) से भाकपा-माले के निवर्तमान विधायक सत्यदेव राम को चुनौती देने के लिए भाजपा ने पूर्व विधायक रामायण मांझी को चुनावी अखाड़े में उतारा है।
निर्दलीय प्रत्याशी शिवकुमार मांझी और प्लूरल्स पार्टी के कुमार शशिरंजन भी चुनावी अखाड़े में जोर आजमा रहे हैं। यहां केवल 4 पुरुष प्रत्याशी ही मैदान में हैं। वर्ष 2015 में राम ने मांझी को 9584 मतों के अंतर से मात दी थी। रघुनाथपुर से राजद के निवर्तमान विधायक हरिशंकर यादव को जदयू के राजेशवर चौहान को चुनौती दे रहे हैं, वहीं बसपा के विनय कुमार पांडेय और भाजपा से बागी पूर्व विधान पार्षद मनोज कुमार सिंह लोजपा के टिकट पर राजद और जदयू उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ने मे लगे हैं।
रघुनाथपुर में केवल 5 पुरुष प्रत्याशी चुनावी दंगल में डटे हैं। पिछली बार राजद के यादव ने भाजपा के सिंह को 10622 मतों के अंतर से परास्त कर दिया था। इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मंत्री विजय शंकर दुबे ने सर्वाधिक 4 बार जीत का सेहरा अपने नाम किया है। दरौंधा विधानसभा सीट पर वर्ष 2015 में जगमातोदेवी की बहू एवं जदयू प्रत्याशी कविता सिंह ने भाजपा उम्मीदवार एवं पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जीतेन्द्र स्वामी को 13222 मतों से हराया था।
वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कविता सिंह सीवान की सांसद बन गई। इसके बाद रिक्त हुई दरौंधा सीट पर हुए उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह निर्वाचित हुए। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए। इस सीट पर करणजीत सिंह को भाकपा-माले के पूर्व विधायक अमर नाथ यादव चुनौती दे रहे हैं। दरौंधा में 11 प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं, जिनमें एक महिला शामिल है। बड़हरिया सीट पर जदयू के निवर्तमान विधायक श्याम बहादुर सिंह को मात देने के लिए राजद ने विधान पार्षद टुन्ना जी पांडेय के भाई बच्चा पांडेय को उम्मीदवार बनाया है।
रालोसपा ने बंदनादेवी और लोजपा ने बीर बहादुर सिंह पर दांव लगाया है। पिछले चुनाव में जदयू के सिंह ने लोजपा प्रत्याशी बच्चा पांडेय को 14583 मतों से पराजित कर दिया। इस सीट पर कुल 14 प्रत्याशी मैदान में है।
गोरियाकोठी से राजद ने निवर्तमान विधायक सत्यदेव प्रसाद सिंह की जगह नई प्रत्याशी नूतनदेवी पर भरोसा जताया है, वहीं पूर्व विधायक भूमेन्द्र नारायण सिंह के पुत्र देवेश कांत सिंह भाजपा का 'कमल' खिलाने की पुरजोर कोशिश में है। टिकट कटने से नाराज सिंह ने रालोसपा के बल पर अपनी ही पार्टी राजद के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।
वर्ष 2015 में राजद के सिंह ने भाजपा के देवेश कांत सिंह को 7651 मतों के अंतर से मात दे दी थी। इस विधानसभा सीट पर 24 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। इस सीट पर सर्वाधिक 4 बार इंद्रदेव प्रसाद ने जीत हासिल की है। महाराजगंज सीट से जदयू के निवर्तमान विधायक हेम नारायण साह को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस ने मांझी के निवर्तमान विधायक विजय शंकर दुबे को उतारा है।
भाजपा के बागी पूर्व विधायक डॉ. देवरंजन सिंह लोजपा से जबकि रालोसपा से पहली बार अजीत प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में जदयू के साह ने भाजपा के डॉ. देव रंजन सिंह को 20292 मतों से परास्त कर दिया था। इस सीट पर 27 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। कद्दांवर नेता उमाशंकर सिंह इस क्षेत्र का 5 बार प्रतिनिधित्व कर चुके है। इनसे पहले सूबे के भूतपूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा भी इस क्षेत्र का 2 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। (वार्ता)