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Written By BBC Hindi
Last Updated : मंगलवार, 17 मार्च 2020 (08:52 IST)

कोरोना : भारत में कम मामलों की असल वजह क्या?

Corona virus | कोरोना : भारत में कम मामलों की असल वजह क्या?
जुबैर अहमद (बीबीसी संवाददाता, दिल्ली)
 
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या कम करके बताई जा रही है या टेस्ट कम किए जा रहे हैं जिसके कारण अब तक सामने आने वाले मामलों की संख्या रविवार तक केवल 110 ही है?
अगर आपको बुख़ार और ज़ुकाम जैसे कोरोना वायरस के लक्षण हैं और आप सीधे दिल्ली के किसी सरकारी अस्पताल जाकर कोरोना वायरस के लिए टेस्ट कराना चाहते हैं तो आपको वापस भेज दिया जाएगा। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव की सहायक डॉक्टर ऋतु कहती हैं कि पहले कोरोना वायरस के लिए स्थापित हेल्पलाइन को फ़ोन करना पड़ेगा।
 
डॉक्टर ऋतु कहती हैं, 'अगर आपको कोरोना वायरस से पीड़ित होने का शक है तो आप पहले अस्पताल जाने के बजाय हेल्पलाइन को फ़ोन करें। हेल्पलाइन में लोग आपसे कई सवाल करेंगे, जैसे कि क्या आपने हाल में कोई विदेश यात्रा की थी या ऐसे किसी व्यक्ति के साथ समय बिताया था, जो हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे हैं? या फिर इस बीमारी से पीड़ित किसी व्यक्ति से मिले थे? अगर जवाब है 'हां' तो आपको अस्पताल भेजकर टेस्ट कराया जाएगा और अगर जवाब है 'नहीं' तो आपको टेस्ट के लिए नहीं भेजा जाएगा।'
वे आगे कहती हैं कि इस सिलसिले में दिल्ली सरकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा फंडेड संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस के अनुसार काम कर रही है। आईसीएमआर की गाइडलाइन में कहा गया है, 'बीमारी मुख्य रूप से प्रभावित देशों की यात्रा करने वाले व्यक्तियों या पॉजिटिव मामलों के करीबी संपर्क में होती है इसलिए सभी व्यक्तियों का परीक्षण नहीं किया जाना चाहिए।'
'टेस्ट ही कम हो रहे हैं'
 
कोरोना वायरस के लिए भारत में केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर है 011-23978046। इसके इलावा हर राज्य का अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर भी है। दिल्ली के महारानी बाग़ की एक महिला स्वाति कुछ दिन पहले बुख़ार और खांसी से पीड़ित होने के बाद राममनोहर लोहिया अस्पताल गईं ताकि कोरोना वायरस का टेस्ट करा सकें।
 
वे एक ग़रीब परिवार से हैं और हाल ही में बिहार से लौटी थीं। उनका टेस्ट नहीं किया गया। अस्पताल वालों ने यह कहकर वापस भेज दिया कि 'उन्होंने विदेश यात्रा नहीं की थी और बुख़ार-खांसी होने से ज़रूरी नहीं कि कोरोना वायरस हो ही।'
 
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना वायरस का टेस्ट करने की सरकार की इस प्रणाली से चिंतित हैं। उनके अनुसार 1अरब से अधिक आबादी वाले देश भारत में टेस्ट बहुत कम किए जा रहे हैं।
टेस्ट का तरीका
 
एशिया और ओशिनिया में चिकित्सा संघों की संस्था (CMAAO) के अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल इस तरीके से असहमत हैं। वे कहते हैं, 'यह तरीक़ा रेस्ट्रिक्टिव (सीमित करने वाला) है। दक्षिण कोरिया, हांगकांग और सिंगापुर में लिबरल (उदार) तरीक़ा अपनाया गया है, जहां कोरोना वायरस के लक्षण वाले हर मरीज़ का सरकारी और निजी अस्पतालों में तुरंत टेस्ट किया जाता है।'
 
डॉक्टर अग्रवाल की संस्था में दक्षिण कोरिया भी शामिल है, जहां के डॉक्टरों से वे लगातार संपर्क में हैं। वे चाहते हैं कि भारत में भी दक्षिण कोरिया का मॉडल अपनाया जाए। तो क्या इस बात की आशंका है कि भारत में कोरोना वायरस की रिपोर्टिंग कम करके बताई जा रही है?
 
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं, 'मैं यह नहीं कहूंगा। कम करके बताने का मतलब यह हुआ कि अगर मामले 100 हैं तो आप 60 की जानकारी दे रहे हैं। यहां तो टेस्ट ही कम कराए जा रहे हैं जिसके कारण कम मामले सामने आ रहे हैं।'
 
डॉक्टर अग्रवाल का अनुमान है कि अगर भारत, दक्षिण कोरिया का मॉडल अपनाए तो मामलों की संख्या 5,000 तक पहुंच सकती है। वे कहते हैं, 'अधिक मामले सामने आने से प्रॉब्लम क्या है? यह कोई बुरी बात नहीं होगी।'
दक्षिण कोरिया में हर 50 लाख आबादी पर 3,692 लोगों का टेस्ट किया जा रहा है। इटली में हर 10 लाख आबादी पर 826 लोगों का टेस्ट किया जा रहा है। लेकिन भारत में अब तक कुछ हज़ार लोगों का ही टेस्ट हुआ है। देश में कोरोना वायरस के लिए टेस्ट करने की किट की संख्या आबादी के हिसाब से बहुत ही कम है।
 
इस घातक बीमारी से अब तक दिल्ली में 1 व्यक्ति की मौत हुई है और पूरे भारत में केवल 2 लोगों ने दम तोड़ा है। लेकिन पूरी दुनिया में इस बीमारी ने अब तक 6,000 से अधिक लोगों की जान ली है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने जिम, नाइट क्लब्स, स्पा और 50 से अधिक लोगों की भीड़ पर 31 मार्च तक के लिए पाबंदी लगाई है।
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