स्वामी परमहंस बोले, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही रामराज्य का शुभारंभ व सनातन धर्म की वापसी
Inauguration of Ramrajya and return of Sanatan Dharma : तपस्वी छावनी के जगतगुरु स्वामी परमहंस आचार्य (Paramahamsa Acharya) ने 'वेबदुनिया' से बात करते हुए कहा कि अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से रामलला विराजमान हो गए हैं जिसके बाद अयोध्या ही नहीं, संपूर्ण भारत राममय (Rammay) हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत के बाहर ईसाई देशों में भी राम मंदिर की चर्चाएं हो रही हैं। वास्तव में मानवता को बचाने के लिए राम के आदर्शों पर चलना होगा। यह अद्भुत है। कहा कि त्रेता युग में जिस प्रकार से रामराज्य आया था जिसकी चर्चा करोड़ों वर्ष बाद आज भी होती है, उसी प्रकार दूसरा रामराज्य 22 जनवरी 2024 माना जाएगा। इस दिन से रामराज्य का शुभारंभ हो गया है। जिस पर ग्रहण-सा लग गया था, वह खत्म हो गया है।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रामलला की स्थापना हुई। वे स्वयं में ही परम् भागवत हैं। राष्ट्रभक्त हैं वो, साथ ही उनके अंदर एक निष्ठा है भारतीय संस्कृति व सभ्यता को वापस स्थापित करने की। कहा कि रामराज्य की जो परिकल्पना थी, वह साकार हुई।
उन्होंने कहा कि यहां मुस्लिम व ईसाई घर वापसी का मन बना चुके हैं। मथुरा और काशी बचे हैं जिसके लिए हमें लग रहा है कि आंदोलन कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी, न्यायपालिका से ही निर्णय हो जाएगा। जिस तरह से एएसआई का सर्वे व रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है, काशी में सब साफ हो गया है और मथुरा पर भी बहुत जल्दी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण होगा
गौहत्या बंद हो : उन्होंने कहा कि गौहत्या बंद करना और भारत को संवैधानिक रूप से हिन्दू राष्ट्र बनाना ये प्राथमिकता रहेगी। जब तक गौहत्या होती रहेगी, तब तक रामराज्य नहीं कहा जाएगा। गायों को बचाना होगा। ग्राम स्तर पर गौशाला खोली जाए और भारत को हिन्दू राष्ट्र संवैधानिक रूप से घोषित किया जाए तब हमारी भारतीय संस्कृति व सभ्यता को बचाया जा सकता है।
Edited by: Ravindra Gupta