कब है वृषभ संक्रांति, क्या है इसका महत्व?
Vrishabha sankranti 2023 : 14 अप्रैल को सूर्य ने मेष राशि में प्रवेश किया था और अब वे वृषभ राशि में 15 मई 2023 को दोपहर 11:32 बजे प्रवेश करेंगे, जहां वे 5 जून 2023 की शाम 18:07 बजे तक रहने के बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। इस बार यह वृषभ संक्रांति है। जानते हैं कि क्या है इसका महत्व।
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वृषभ संक्रांति का पुण्यकाल कुल 7 घंटे 3 मिनट तक रहेगा।
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पुण्यकाल का समय सुबह 4 बजकर 55 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
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वृषभ संक्रांति का महापुण्यकाल 2 घंटे 14 मिनट की अवधि तक का है।
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महा पुण्यकाल का समय सुबह 9 बजकर 44 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
वृषभ संक्रांति का महत्व :
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संस्कृत में 'वृषभ' शब्द का अर्थ 'बैल' है। बैल को नंदी भी कहते हैं जो कि शिवजी का वाहन है।
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वृषभ संक्रांति के दौरान सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में आते हैं और 15 दिनों तक रहते हैं इसमें शुरूआती नौ दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ती है।
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इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख और समृद्ध जीवन के साथ ही जातक पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
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वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य पूजा करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है।
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शास्त्रों में वृषभ संक्रांति को मकर संक्रांति के समान ही माना गया है।
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शास्त्रों के अनुसार, वृषभ संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
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इस महीने में प्यासे को पानी पिलाने अथवा घर के बाहर प्याऊ लगाने से व्यक्ति को यज्ञ कराने के समतुल्य पुण्यफल मिलता है।