देश में सोने और चांदी को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। आजादी के बाद के 75 सालों के इतिहास पर नजर डाली जाए तो सोना-चांदी में निवेश के लिए आप भी लालायित हो जाएंगे। 1947 में 10 ग्राम सोने की कीमत मात्र 88.62 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। अगर उस समय आपके पूर्वजों ने मात्र 10 ग्राम भी सोना खरीदकर सहेज लिया होता तो आज आपको इसके 52,000 रुपए से ज्यादा मिलते। इसी तरह आजादी के समय चांदी का भाव करीब 107 रुपए किलो था और अब ये 60000 रुपए से ऊपर है। हालांकि उस समय देश में गरीबी चरम पर भी और डॉलर की कीमत भी 4 रुपए के करीब थी। वित्त बाजार में इसे डेड एसेट माना जाता है। क्योंकि इसमें निवेश पर ना तो कोई ब्याज मिलता है और ना ही डिविडेंड।
भारत को क्यों कहा जाता था सोने की चिड़िया : दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा खदाने भले ही दक्षिण अफ्रीका में हो लेकिन भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। भारत ने यह सोना अन्य देशों से व्यापार से अर्जित किया था। उस समय भारत मसाले, कपास, रत्न और खाद्य पदार्थों के निर्यात में अव्वल था। मयूर सिंहासन से लेकर कोहिनूर हीरे तक बेशकीमती वस्तुओं ने दुनिया भर का मन मोह लिया। इसी सोने की वजह से दुनिया भर से आक्रांता भारत को लूटने आए। मुगल काल तक भारत सोने की चिड़िया बना रहा। हालांकि इसके बाद भी देश में सोने की कभी कमी नहीं रही।
ब्रिटिशराज में भी विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान 25% के बराबर था। जब अंगेज भारत को छोड़कर गए तो भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 2 to 3% रह गया था। भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यहां के मंदिर आज भी सोने से भरे पड़े हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने 2021 में अनुमान जताया था कि भारत में अभी भी 22,000 टन सोना लोगों के पास है। इसमें से लगभग 3,000-4,000 टन सोना भारत के मंदिरों में अभी भी है।
क्यों आसान नहीं था तब सोना खरीदना : साल 1947 में प्रति व्यक्ति की सालाना आय 274 रुपए थी। इस तरह औसतन उसे हर माह उसे 22.83 रुपए मिलते थे। वहीं 1 तोला सोने की कीमत 88.62 रुपए थी, जिसके लिए उसे करीब 4 माह की तनख्वाह खर्च करना पड़ती।
युद्ध में देश के काम आया सोना : आजादी के बाद भारत ने कुल 5 लड़ाइयां लड़ी। इनमें से 4 पाकिस्तान और 1 चीन के खिलाफ थी। इन युद्धों के दौरान जान-माल के नुकसान के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगा। यु्द्ध के मुश्किल दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्रियों की अपील पर देश को लोगों ने मुक्त हस्त से देश को दान दिया। राजा रजवाड़ों, कारोबारियों, मंदिरों के साथ ही आम लोगों ने भी खुले हाथों से सोने चांदी के आभूषण दान किए। कहा जाता है कि 1965 के युद्ध में तिरूपति मंदिर ने 125 किलो सोना दान दिया था। इस समय हैदराबाद के निजाम ने 425 किलो सोना नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में निवेश किया था।
75 साल में सोना कितना सोणा : 1947 में सोना 88.62 रुपए प्रति 10 ग्राम था। 1960 में पहली बार गोल्ड 100 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गया। 1974 में सोना ने 500 रुपए स्तर को पार किया तो 1980 में यह 1000 के पार पहुंच गया। इसी वर्ष यह कुलाचे भरता हुआ 1330 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। 1996 में सोने की कीमत 5160 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 2007 में सोना पहली बार 10 हजारी हुआ 2011 में सोना 26 हजारी हुआ। 2020 में सोना 56 हजार के पार पहुंच गया। हालांकि इसके बाद सोने के दाम कुछ कम हुए। वर्तमान में 10 ग्राम सोने की कीमत 52,000 रुपए के करीब है।
कैसा रहा चांदी का सफर : 1947 में चांदी के दाम 107 रुपए किलोग्राम थे। 1974 में पहली बार चांदी के दाम 1000 प्रति किलो के पार पहुंचे। 1987 में चांदी की कीमत 5000 रुपए किलो हो गई। 2004 में चांदी 10 हजारी हो गई। 2008 में चांदी 25000 रुपए प्रति किलो थी। 2013 में चांदी की कीमत 50000 के पार पहुंच गई। 2020 में इसकी कीमत 77949 थी। वर्तमान में 1 किलो चांदी के दाम करीब 59,300 रुपए है।
सोने को क्यों माना जाता है सबसे सुरक्षित निवेश : भारतीयों को आदि काल से ही सोने में निवेश बेहद पसंद है। एक समय सोने और चांदी को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। लोग सोने के गहने खरीदना भी खूब पसंद करते थे। यह संपन्नता का प्रतीक था। हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा सोने के गहने खरीदना चाहता था। एक और इन गहनों से महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लग जाते तो दूसरी तरफ मुश्किल समय में इसे बेंचकर अच्छा पैसा भी मिल जाता था। फिर लोगों ने गहनों के बजाए 24 कैरेट गोल्ड में निवेश करना पसंद किया। हालांकि अब बाजार में डिजिटल सोना भी उपलब्ध है।
सोने में निवेश के कई विकल्प : सोने में निवेश के लिए बाजार में कई विकल्प मौजूद हैं। आप सर्राफा बाजार से सोने के गहने, सिक्के या बिस्किट खरीद सकते हैं। गोल्ड सेविंग फंड्स और गोल्ड ETF से सोने की यूनिट खरीदी जा सकती है। इसके अलावा आप सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले सॉवरेन गोल्ड बॉन्डस में भी निवेश किया जा सकता है।
सोने पर क्यों है लोगों का भरोसा : भले ही वित्त जगत सोने को डेड असेट मानता हो पर आज भी आज लोगों में सोने के प्रति मोह कम नहीं हुआ है। हर घर में महिलाओं के पास सोने का एक ना एक आभूषण तो मिल ही जाएगा। इसकी वजह है इस पीली धातु पर भरोसा। लोग मानते हैं कि सोना बुरे वक्त का साथी होता है। मुश्किल हालात में इसे बेचकर या गिरवी रखकर आसानी से धन प्राप्त किया जा सकता है। साहूकारी के दौर में सोने को गिरवी रखकर पैसे देने का काम जोरो पर होता था। आज भी कई बैंक सोने पर लोन देने का काम करती है।
सोना खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान : भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS का हॉलमार्क सोने की शुद्धता सुनिश्चित करता है। वर्तमान में देश में 18, 22 और 24 कैरेट का सोना मिल रहा है। सबसे ज्यादा शुद्ध सोना 24 कैरेट का ही माना जाता है। सोने की ज्वेलरी खरीदते वक्त मेकिंग चार्जेस जानना बेहद जरूरी है। ये शुल्क गहनों की लागत का 30 प्रतिशत तक हो सकते हैं। सोना खरीदते समय उसका वजन जरूर चेक करें और इसका बिल भी जरूर लें।
कितना सोना रख सकते हैं अपने पास : आयकर जांच के दौरान विवाहित महिला के पास 500 ग्राम, अविवाहित महिला के पास 250 ग्राम तथा पुरुषों के पास उपलब्ध 100 ग्राम तक के स्वर्ण आभूषणों को जब्त नहीं किया जाएगा। संशोधित आयकर कानून के तहत पैतृक आभूषण और स्वर्ण पर कर नहीं लगेगा। साथ ही घोषित आय या कृषि आय से खरीदे गए सोने पर भी कर नहीं लगेगा।