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Last Modified: गुरुवार, 2 मार्च 2023 (17:31 IST)

महिला दिवस 2023 के लिए 3 खूबसूरत कविताएं

Women Day : महिला दिवस 2023 के लिए 3 खूबसूरत कविताएं - Poems on International Women Day
प्रस्तुति: ईशु शर्मा
 
महिलाओं के सम्मान और न्याय की जागरूकता के लिए दुनियाभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है क्योंकि स्त्री शक्ति सिर्फ अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस शक्ति की कीमत समझना उतना ही ज़रूरी है जितना प्रकृति को संरक्षित रखना है। इस महिला दिवस पर महिलाओं के आत्मविश्वास को जगाने के लिए हम लेकर आए हैं ये 3 खूबसूरत कविताएं- 
 
1.एक सवाल था तुमसे,
तुम इतना कुछ सहकर भी, कैसे मुस्कुरा लेती हो?
अपना आशियां जिम्मेदारियों के बोझ तले कैसे बना लेती हो?
 
जो कल्पना की पराकष्ठा है, ऐसा दर्द सहती हो,
बंदिशों के साए में भी, आजाद पंछी सी रहती हो।
ख्वाहिशों को कैद किए समाज के पिंजरे में,
अपनी बेबसी का प्रमाण तक नहीं देती हो।
 
इतने त्रास दिए हम सबने, इतना ज़ुल्म किया तुम पर,
फिर भी दिखाई दया तुमने, सदैव रखा भरोसा हम पर।
गुनहगार हो गई तुम, समाज की गलतियां छुपाते,
पर आंच न आने दी तुमने, इस मानव जाती पर।
 
तुमसे अच्छा मित्र नहीं कोई, तुमसे अच्छा सहारा कहां,
इतनी ममता इतना प्रेम, तुम जहां- है बरकत वहां।
मां, पत्नी, दोस्त या बहन, हर रूप में देवी हो,
सम्पूर्ण विश्व का तिलक हो तुम, तुमसे जगमग ये सारा जहां।- प्रथमेश व्यास 
2. नारी से ही तो नर है।
फिर क्यों अत्याचार उनपर, हर घर है।।
नारी शक्ति है नारी सृष्टि है।
फिर क्यों पढ़ती उन पर गलत दृष्टि है।।
ये दुर्गा काली लक्ष्मी सरस्वती है।
नारी ही तो हमारे देश की संस्कृति है।।
नारी का सम्मान ही हमारा धर्म है।
वो सुरक्षित रहे यही हमारा कर्म है।।- हर्षित मालाकार
 
3. ओ नारी कैसे कह दूं तुम कुछ नहीं हो, 
ज्ञान जो चाहे सरस्वती तुम, 
मान जो चाहे लक्ष्मी हो तुम,
अपराधों का साया जब-जब छाए धरती पर, 
तो काली दुर्गा का रूप हो तुम।
 
खुशियों का संसार तुम्हीं से 
प्रेम की शुरुआत तुम्हीं से, 
जीवन का आगाज़ तुम्हीं से, 
ये जहां जगमग है सूरज से,
सूरज की चमकान तुम्हीं से।
 
जग जननी है तू, जग पालक है तू, दुर्गा स्वरूप नारी है तू
भेदभाव, अपमान के सामने न कभी हारी है तू। 
स्वयं के मान पर अड़ी है तू
अपने साथ खुद खड़ी है तू। 
मां बहन बेटी, जीवन का आधार है तू, 
कोई नहीं बदल पाएगा, ऐसा ईश्वरीय उपहार है तू। 
 
न तू सहेगी, न तू रुकेगी, 
बदलते इतिहास का नया फरमान है तू। 
अपने हक के लिए तू आज उठा आवाज़, 
तू खुद बढ़ेगी तो आगे बढ़ेगा ये समाज।- अनुभूति निगम
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