International Day of the Girl Child: आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस है। इस दिन को मनाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2011 को इस बारे में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें बालिकाओं के अधिकारों एवं विश्व की उन अद्वितीय चुनौतियों का, जिनका कि वह मुकाबला करती हैं, को मान्यता देने के लिए 11 अक्टूबर 2012 को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया। और तभी दुनियाभर में पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 की थीम- International Day of the Girl Child Theme 2023
हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग-अलग निर्धारित की जाती है। वर्ष 2023 में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम 'लड़कियों के अधिकारों में निवेश करें: हमारा नेतृत्व, हमारा कल्याण' (Invest In Girls Right : Our Leadership, Our Well-being) रखी गई है। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लड़कियों के सामने आ रहीं चुनौतियों की पहचान कर उसका समाधान करना, उन्हें शिक्षित करके स्वस्थ जीवन का अधिकार दिलाना, सशक्तीकरण करना, मानवाधिकारों का हनन रोकना तथा एक सुरक्षित समाज का निर्माण करना है।
क्यों मनाया जाता हैं यह दिन: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य है बालिकाओं के मुद्दे पर विचार करके इनकी भलाई की ओर सक्रिय कदम बढ़ाना। गरीबी, संघर्ष, शोषण और भेदभाव का शिकार होती लड़कियों की शिक्षा और उनके सपनों को पूरा करने के लिए कदम उठाने पर ध्यान केंद्रित करना ही इसका मुख्य मकसद है। आज चांद तक पहुंच चुकी दुनिया में भी बालिकाओं की खिलखिलाहट उपेक्षित है, बालिकाएं, बेटियां आज भी हमसे अपने हक के लिए लड़ रही हैं। अपनी खिलखिलाहट से सभी को खुशी देने वाली लड़कियां आज भी खुद अपनी ही खुशी से महरूम हैं। आज भी वह उपेक्षा और अभावों का सामना कर रही हैं।
Because I Am A Girl अभियान क्या है: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की प्रेरणा कनाडियाई संस्था प्लान इंटरनेशनल के 'बिकॉज आई एम गर्ल' Because I Am A Girl अभियान से मिली थी। इस अभियान के तहत वैश्विक स्तर पर लड़कियों के पोषण के लिए जागरूकता फैलाई जाती थी। हर जगह अपना योगदान करने वाली और चुनौतियों का सामना कर रही लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने, उनके सहयोग के लिए दुनिया को जागरूक करने के लिए इस दिवस का आयोजन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनियाभर में बहुत-सी लड़कियां गरीबी के बोझ तले जी रही हैं, लड़कियों को शिक्षा मुहैया नहीं हो पाती। दुनिया में हर तीन में से एक लड़की शिक्षा से वंचित है। लड़कियां आज लड़कों से एक कदम आगे हैं, लेकिन आज भी वह भेदभाव की शिकार हैं। और इसी भेदभाव को मिटाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए भी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। 11 अक्टूबर को करीबन विश्वभर के 50 से ज्यादा देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
आपको बता दें कि भारत में भी हर साल 24 जनवरी को 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' मनाया जाता है। आज भी जहां गरीबी और रूढ़ियों के चलते लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता। लाख प्रतिभाशाली होने के बावजूद वह प्राथमिक शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पाती। कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी जाती है या शादी करने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है। इतना ही नहीं वे सिर्फ बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी वह भेदभाव, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं।
इसीलिए लड़कियों को शिक्षित करना हमारा पहला दायित्व है और नैतिक अनिवार्यता भी। शिक्षा से लड़कियां न सिर्फ शिक्षित होती हैं बल्कि उनके अंदर आत्मविश्वास भी पैदा होता है। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं साथ ही यह गरीबी दूर करने में भी सहायक होती है। भारत सरकार ने भी बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए काफी योजनाओं को लागू किया है, जिसके तहत 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' एक उल्लेखनीय योजना है। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं भी है।