क्या इतिहास में पहली बार एक साथ दिखे लाखों शिवलिंग, जानिए सच..
नदी में पानी के बीच चट्टानों पर कई शिवलिंग वाली पांच तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों को लेकर दावा किया जा रहा है कि इतिहास में पहली बार लाखों शिवलिंग एक साथ देखे गए।
क्या है इन तस्वीरों में..
वायरल तस्वीरों में नदी के बीच चट्टानों पर शिवलिंग और नंदी की मूर्तियां साफ नजर आ रही हैं। इन तस्वीरों के साथ मैसेज लिखा गया है कि ‘भारत के इतिहास में पहली बार कर्नाटक में शिवकाशी नदी में पानी कम होने पर दिखे लाखों शिवलिंग। शेयर करना ना भूलें। हर हर महादेव’।
क्या है सच्चाई..
जब हमने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि यह तस्वीरें तो असली हैं, लेकिन इन तस्वीरों को लेकर किया जा रहा दावा झूठा है कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। आइए, अब जानते हैं कि यह कौन-सी जगह है, जहां पर इतने सारे शिवलिंग हैं..
कर्नाटक के उत्तर कन्नडा जिले में सिरसी से 14 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह सहस्रलिंग के नाम से प्रसिद्ध है। यहां बहने वाली शालमला नदी में हजारों की संख्या में शिवलिंग मौजूद हैं। ये सभी शिवलिंग चट्टानों पर बने हुए हैं। शिवलिंग के अलावा इन चट्टानों पर नंदी, सर्प आदि की आकृतियां भी बनी हुई हैं।
शालमला नदी में जब पानी रहता है, तो उस समय यहां मौजूद शिवलिंग नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन, जैसे-जैसे पानी का स्तर कम होता है, तो नदी में हजारों की संख्या में मौजूद शिवलिंग दिखाई देने लगते हैं। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए शिव भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।
मान्यताओं के अनुसार, इन शिवलिंगों का निर्माण राजा सदाशिवराय वर्मा ने 16वीं शताब्दी में कराया था। राजा सदाशिवराय भगवान शिव के बड़े भक्त थे और वे भगवान शिव की अद्भुत रचना का निर्माण करवाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने शालमला नदी में मौजूद चट्टानों पर भगवान शिव और उनके प्रियजनों की हजारों आकृतियां बनवा दीं। नदी के बीच स्थित होने के कारण सभी शिवलिंगों का अभिषेक खुद शालमला नदी करती है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसे ही शिवलिंग कंबोडिया के प्रसिद्ध अंगकोर वाट मंदिर से कुछ दूरी पर भी मौजूद हैं। इस मंदिर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केब्ल स्पीन नामक स्थान पर पत्थरों पर देव आकृतियां हैं।