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Written By अवनीश कुमार
Last Updated : शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 (16:53 IST)

स्वतंत्रता संग्राम की शहादत का मूक गवाह 'शुक्ल तालाब' जल्द ही घोषित हो सकता है राष्ट्रीय संपदा

स्वतंत्रता संग्राम की शहादत का मूक गवाह 'शुक्ल तालाब' जल्द ही घोषित हो सकता है राष्ट्रीय संपदा - shukla pond may soon be declared a national asset
कानपुर देहात। कानपुर देहात में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की आग में कूदे रणबांकुरों की शहादत का मूक गवाह है शुक्ल तालाब। अकबरपुर के इस ऐतिहासिक तालाब को जल्द ही राष्ट्रीय संपदा क्षेत्र (नेशनल हैरिटेज) घोषित कराने की तैयारियों में जिला प्रशासन जुट गया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही शुक्ल तालाब नेशनल हैरिटेज घोषित हो जाएगा।
 
पर्यटन स्थल के रूप में किया जा सकेगा विकसित : प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने शुक्ल तालाब राष्ट्रीय संपदा क्षेत्र घोषित कराने के लिए आवेदन किया है। इसके चलते 3 अभियंताओं की टीम से सर्वे और रिपोर्ट बनवाने के साथ इसके ऐतिहासिक तथ्यों को भी रखा गया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही शुक्ल तालाब राष्ट्रीय संपदा क्षेत्र घोषित हो जाएगा और पर्यटन के क्षेत्र में कानपुर देहात का भी नाम जुड़ जाएगा जिसके चलते शुक्रताल को बड़े पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकेगा। इसके चलते इससे जुड़े तकनीकी विश्लेषण और ऐतिहासिक तथ्य भारत सरकार को भेजे जा रहे हैं।
 
150 वर्ष से अधिक पुराना है तालाब : जानकारों की मानें तो शुक्ल तालाब 150 वर्ष से भी अधिक पुराना है और यह तालाब शहादत का मूक गवाह है। 1857 के गदर में शुक्ल तालाब के पास ही एक नीम के पेड़ में आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोले 7 लोगों को अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई थी।
 
1878 में प्रकाशित एफएन राइट की पुस्तक 'स्टेस्टिकल डिस्क्रिप्टिव एंड हिस्टोरिक एकाउंट' में तथा माउंट गोमरी के गजेटियर में भी शुक्ल तालाब का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि अकबरपुर में शुक्ल तालाब निर्मित कराए गए। प्राचीनकाल में यह कस्बा बहुत सुन्दर बसा हुआ था। 1847 में इसकी जनसंख्या 5,485 थी। यह तालाब बेहद सुंदर था। इस तालाब से आजादी की बहुत सारी की यादें भी जुड़ी हैं।