ज्ञानवापी सर्वे, कोर्ट ने शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील करने के दिए निर्देश
वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे में जिस जगह शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है, उस जगह को कोर्ट ने सील करने के निर्देश दिए हैं। एक पक्ष द्वारा दावा किया जा रहा है कि सर्वे में शिवलिंग मिला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट के ऑर्डर में शिवलिंग मिलने का जिक्र किया गया है। इस शिवलिंग का व्यास 12.8 फुट बताया जा रहा है।
इस बीच, हिंदू पक्ष के एक वकील ने कहा कि सर्वे दल को परिसर में नंदी (भगवान शिव की सवारी) की एक प्रतिमा और एक शिवलिंग मिला है। ज्ञानवापी मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है। स्थानीय अदालत महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी बाहरी दीवारों पर मूर्तियों के सामने दैनिक प्रार्थना की अनुमति की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
वहीं, वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा था कि सोमवार को दो घंटे 15 मिनट से अधिक समय तक सर्वे करने के बाद अदालत द्वारा गठित आयोग (कोर्ट कमीशन) ने सुबह करीब 10.15 बजे अपना काम समाप्त कर दिया। सर्वे कार्य से सभी पक्ष संतुष्ट थे।
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बातचीत में दावा किया कि सर्वे दल को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में नंदी की प्रतिमा के सामने वजू खाने (मस्जिद के अंदर वह जगह, जहां लोग नमाज पढ़ने से पहले हाथ, पैर और मुंह धोते हैं) के पास शिवलिंग मिला है।
जिलाधिकारी शर्मा ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार संख्या 4 को अदालत द्वारा गठित आयोग (कोर्ट कमीशन) के काम के दौरान भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था, क्योंकि उस गेट का इस्तेमाल कोर्ट कमीशन के सदस्यों की आवाजाही के लिए किया जाता था। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का आना दिन में भी जारी रहा और उन्हें दर्शन-पूजन से नहीं रोका गया।
हिंदू पक्ष के एक प्रतिनिधि पैरोकार के बाबा के मिलने संबंधी दावे पर जिलाधिकारी ने कहा कि अधिवक्ता आयुक्त ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि 17 मई को अदालत में रिपोर्ट पेश किए जाने तक किसी को भी इस बात को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए कि मस्जिद परिसर में क्या-क्या मिला है। हालांकि, अगर कोई खुद ऐसे दावे कर रहा है तो इसकी प्रामाणिकता साबित नहीं की जा सकती।
शर्मा ने स्पष्ट किया कि केवल अदालत ही इस जानकारी की संरक्षक है। अगर किसी और ने आपको कोई जानकारी दी है तो कोर्ट कमीशन का इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या सर्वे में शामिल किसी सदस्य को आयोग की कार्यवाही से वंचित रखा गया था, शर्मा ने कहा कि कल हमें सूचना मिली थी कि एक सदस्य को आयोग की गतिविधियों से 15-20 मिनट के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसे कार्यवाही का हिस्सा बनने की अनुमति दे दी गई थी। दरअसल, इस सदस्य ने अदालत के निर्देशों के खिलाफ गोपनीय जानकारी साझा की थी।