Tokyo Olympics: खिलाड़ी अपने दांत से क्यों काटते हैं Medal? जानिए क्या है वजह
बिगुल बज चुका है... टोक्यो इतिहास रचने के लिए बेकरार है... दुनियाभर के खिलाड़ियों ने खेल गांव में अपने कदम जमा लिए हैं... अब बस इंतजार है तो सिर्फ शुक्रवार 23 जुलाई का।
23 जुलाई से टोक्यो ओलंपिक का आगाज होने वाला है और खेलों के इस महाकुंभ का सिलसिला 8 अगस्त तक लगातार देखने को मिलेगा। इन 19 दिनों के दौरान दुनिया के कोने-कोने से आए एथलीट्स पदक जीतने के लिए एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे। फैंस के बीच भी टोक्यो ओलंपिक को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
दांतों से क्यों चबाते हैं मेडल?अब जब टोक्यो ओलंपिक इतना नजदीक आ ही गया, तो हमने सोचा क्यों न आपके साथ ओलंपिक से जुड़े कुछ रोचक तथ्य शेयर किए जाएं। अच्छा क्या आपको पता है या आपने कभी गौर किया है, जब भी एथलीट कोई भी पदक जीतता है तो वो अपने मेडल को दांतों तले रखकर उसे क्यों काटते हैं। आखिर वो ऐसा क्यों करते हैं? क्या ऐसा करने से एथलीट को उसकी जीत का स्वाद मिलता है? या फिर ये ओलंपिक का कोई नियम है, जिसे हर एक खिलाड़ी को पदक जीतने पर पूरा करना होता है।?
मेडल जीतने के बाद कोई भी एथलीट ऐसा नहीं होता, जो ऐसा न करता हो। अब सवाल यह उठता है कि आखिर सभी खिलाड़ी ऐसा करते क्यों हैं?
चलिए आपके सस्पेंस को खत्म करते हुए बताते हैं कि, मेडल जीतने के बाद उसको दांतों से काटने की परंपरा एथेंस ओलंपिक से शुरू हुई थी। लेकिन साल 1912 के स्टॉकहोम ओलंपिक के बाद यह परंपरा बंद हो गई थी। स्टॉकहोम ओलंपिक में ही खिलाड़ियों को अंतिम बार शुद्ध सोने के मेडल दिए गए थे।
तो वजह से दांतों तले आता है मेडल खिलाड़ी अपने मुंह में ओलंपिक पदक क्यों दबाते हैं, इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प वजह है। एक रिपोर्ट के अनुसार, खिलाड़ी ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि सोना अन्य धातुओं की तुलना में थोड़ा नरम और लचीला होता है। इसे मुंह में दबाकर खिलाड़ी ये निर्धारित करते हैं कि मेडल असली सोने का है भी या नहीं।
इसके अलावा ज्यादातर खिलाड़ी सिर्फ फोटो क्लिक करवाने के लिए मेडल अपने दांतों तले दबाते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि, अब मेडल सिर्फ गोल्ड प्लेटेड होते हैं। अगर मेडल पर काटने पर उस पर निशान बन जाते हैं तो इससे पता चल जाता है कि मेडल सोने का था या नहीं।