टोक्यो:तैराक साजन प्रकाश गुरुवार को यहां पुरुषों की 100 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में अपनी हीट में दूसरे स्थान पर रहे लेकिन यह सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिये पर्याप्त नहीं था जिससे तोक्यो ओलंपिक की तैराकी प्रतियोगिता में भारतीय चुनौती भी समाप्त हो गयी। रियो ओलंपिक 2016 में भी देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रकाश ने 53.45 सेकेंड का समय निकाला जबकि सेमीफाइनल के लिये कट 51.74 सेकेंड पर गया।
केरल का यह 27 वर्षीय तैराक 55 खिलाड़ियों के बीच 46वें स्थान पर रहा। चोटी के 16 तैराक सेमीफाइनल में पहुंचते हैं।इससे पहले भारतीय तैराक साजन प्रकाश सोमवार को हीट दो में चौथे स्थान पर रहते हुए तोक्यो ओलंपिक की पुरुष 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे थे। पिछले महीने इटली में एक मिनट 56.38 सेकेंड के समय के साथ निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक का ए क्वालीफाइंग स्तर हासिल करने वाले साजन एक मिनट 57.22 सेकेंड के समय के साथ 38 तैराकों के बीच 24वें स्थान पर रहे थे।
भारत के तीनों तैराकों प्रकाश, श्रीहरि नटराज और माना पटेल ने निराशाजनक प्रदर्शन किया तथा वे अपनी मुख्य स्पर्धाओं में अपने सर्वश्रेष्ठ समय की बराबरी भी नहीं कर पाये।
प्रकाश ने पिछले महीने ओलंपिक ए क्वालीफिकेशन हासिल करने वाला पहला भारतीय तैराक बनकर तोक्यो खेलों के लिये क्वालीफाई किया था। वह अपनी पसंदीदा 200 मीटर बटरफ्लाई में सोमवार को 24वें स्थान पर रहे थे।अपने पहले ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे नटराज 100 मीटर बैकस्ट्रोक में 40 तैराकों के बीच 27वें स्थान पर रहे। प्रकाश और नटराज ने तोक्यो खेलों से पहले लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालकर उम्मीदें जगायी थी। माना ने विश्वविद्यालय कोटा से खेलों में जगह बनायी थी। वह महिलाओं की 100 मीटर बैकस्ट्रोक में 39वें स्थान पर रही थी।
तैराकी में कभी सेमीफाइनल में नहीं पहुंचा भारत
भारत ने पहली बार 1932 में ओलंपिक तैराकी में हिस्सा लिया और 2016 तक कुल 26 तैराकों (20 पुरुष, छह महिलाएं) ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है लेकिन इनमें से कोई भी सेमीफाइनल के लिये भी क्वालीफाई नहीं कर पाया।
नलिन मलिक ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय तैराक थे। उन्होंने 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर और 1500 मीटर फ्रीस्टाइल में हिस्सा लिया था लेकिन अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे थे।
लंदन ओलंपिक 1948 में भारत के सात तैराकों ने हिस्सा लिया था। पुरुष 100 मीटर फ्रीस्टाइल में तीन भारतीय सचिन नाग, दिलीप मित्रा और इसाक मंसूर उतरे लेकिन सभी अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे। हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में डॉली नजीर और आरती साहा के रूप में दो भारतीय महिला तैराक पहली बार ओलंपिक में तरणताल में उतरी थी।
इसके बाद लंबे समय तक कोई भारतीय तैराक ओलंपिक में जगह नहीं बना पाया था। खजान सिंह ने सियोल ओलंपिक 1988 में भाग लिया लेकिन पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे।
अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संगीता पुरी इससे पहले त्रिनिदाद एवं टोबैगो की तरफ से मध्य एवं कैरेबियाई अमेरिकी खेलों में हिस्सा ले चुकी थी। संगीता पुरी ने जब ओलंपिक में भाग लिया तो वह 16 साल 236 दिन की थी और इस तरह से भारत की सबसे कम उम्र की ओलंपिक तैराक बनी थी।
इसके बाद निशा मिलेट, शिखा टंडन, वीरधवल खाड़े और संदीप सेजवाल जैसे तैराकों ने भी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन कोई भी प्रभावित नहीं कर पाया। साजन प्रकाश ने रियो ओलंपिक 2016 में भी हिस्सा लिया था लेकिन वह पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे थे।
ओलंपिक तैराकी में शुरू से अमेरिका का दबदबा रहा। उसे इस बीच हालांकि आस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान आदि से चुनौती मिलती रही है। अमेरिका के नाम पर रियो ओलंपिक तक तैराकी में 248 स्वर्ण सहित 553 पदक दर्ज थे। अमेरिका के माइकल फेल्प्स को तरणताल का बादशाह कहा जाता है। उन्होंने ओलंपिक में 23 स्वर्ण सहित 28 पदक जीते हैं। (भाषा)