लवलीना के लिए मेडल तो सिर्फ गोल्ड ही है, लेकिन कल विश्व चैंपियन के सामने होगी अग्निपरीक्षा
टोक्यो: लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) तोक्यो ओलंपिक में पहले ही पदक सुरक्षित कर चुकी हैं लेकिन बुधवार को वह तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ जीत दर्ज करके ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय मुक्केबाज बनने की कोशिश करेगी।
असम की 23 वर्षीय लवलीना इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ी है। वह पदक पक्का करके पहले ही विजेंदर सिंह (2008) और एम सी मैरीकॉम (2012) की बराबरी कर चुकी है।
लवलीना का पदक पिछले नौ वर्षों में भारत का मुक्केबाजी में पहला पदक होगा लेकिन उनका लक्ष्य अब फाइनल में पहुंचना होगा जहां अभी तक कोई भारतीय नहीं पहुंचा है।
राष्ट्रीय कोच मोहम्मद अली कमर ने इस महत्वपूर्ण मुकाबले की पूर्व संध्या पर कहा, यह मुकाबला दोपहर बाद होगा और इसलिए हम पिछले दो दिनों से दोपहर बाद ही अभ्यास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ये दोनों मुक्केबाज इससे पहले एक दूसरे से नहीं भिड़े हैं और वे दोनों एक दूसरे के खेल के बारे में नहीं जानते हैं। लवलीना अच्छे प्रदर्शन के प्रति आत्मविश्वास से भरी है और मुझे पूरा विश्वास है कि वह अच्छा प्रदर्शन करेगी।
यह मुक्केबाज भी अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट है। उन्होंने पिछले दौर में चीनी ताइपै की पूर्व विश्व चैंपियन नीन चिन चेन को हराया था।उन्होंने इस मुकाबले के बाद कहा था, मेडल (पदक) तो बस गोल्ड (स्वर्ण) होता है, पहले मुझे उसे हासिल करने दो।
लवलीना ओलंपिक में पदार्पण कर रही हैं लेकिन उन्होंने सहज होकर अपने मुकाबले लड़े हैं। तुर्की की शीर्ष वरीयता प्राप्त मुक्केबाज के खिलाफ भी वह बिना किसी दबाव के रिंग में उतरेगी।सुरमेनेली भी 23 साल की हैं और इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने दो स्वर्ण पदक जीते हैं।
लवलीना भी इस खेल में नयी नहीं है और उन्होंने अभी तक अपने करियर में विश्व चैंपियनशिप के दो कांस्य पदक जीते हैं। तुर्की की मुक्केबाज 2019 चैंपियनशिप में विजेता रही थी जबकि लवलीना को कांस्य पदक मिला था। तब इन दोनों के बीच मुकाबला नहीं हुआ था। (भाषा)