गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज पर्व
  4. Hartalika Teej 2024 Muhurat Time, Vrat Anushthan Vidhi
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 20 अगस्त 2024 (19:00 IST)

Hartalika Teej 2024 Date: हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त टाइम, व्रत, अनुष्‍ठान विधि

Hartalika Teej Muhurat: हरतालिका तीज तिथि कब से कब तक रहेगा और जानिए व्रत एवं पूजा के नियम

Hartalika Teej
Hartalika Teej
Hartalika Teej Vrat Muhurat 2024: सावन (श्रावण) और भादव (भाद्रपद) के मास में आने वाली तीन प्रमुख तीज निम्न हैं:- हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को रखा जाता है। इस बार हरितालिका तीज का व्रत 6 सितंबर 2024 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। महिलाओं द्वारा किए जाने वाला यह व्रत बहुत कठिन होता है और इसमें उन्हें निर्जला रहकर जागरण भी करना होता है। ALSO READ: 2024 में कब मनाई जाएगी हरितालिका तीज और श्री गणेश चतुर्थी, जानें सही तिथि
 
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 05 सितम्बर 2024 को दोपहर 12:21 बजे से।
तृतीया तिथि समाप्त- 06 सितम्बर 2024 को दोपहर 03:01 बजे तक।
 
प्रातःकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त- 06:02 से 08:33 तक।
 
6 सितंबर 2024 हरतालिका शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:30 से 05:16 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:53 ए एम से 06:02 तक।
अभिजित मुहूर्त: प्रात: 11:54 से दोपहर 12:44 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:25 से 03:15 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:36 से 06:59 तक।
सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:36 से 07:45 तक।
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:56 से 12:42 (7 सितम्बर) तक।
रवि योग: सुबह 09:25 से अगले दिन सुबह 06:02 तक।
 
हरितालिका तीज व्रत अनुष्‍ठान विधि-
1. इस दिन निर्जला व्रत रखकर कुछ भी खाया नहीं जाता है।
 
2. इस व्रत में कम से कम 5 बार पूजा की जाती है।
 
3. हरतालिका व्रत की पूजा रात्रि के चार प्रहर और दिन के पहले प्रहर में करने का विधान है।
 
4. यह भी नियम है कि 5 पूजा में से 3 पूजा तीज के दिन कभी भी कर सकते हो।
 
5. आखिरी पूजा चतुर्थी के दिन पारण पूजा होती है, जिसे परायण भी कहते हैं। इसे व्रत खोलना भी कहते हैं।
 
कैसे करते हैं पूजा?
पूजा के दौरान बालू में मिट्टी मिलाकर शिवलिंग बनाते हैं। शिवलिंग के साथ ही गौरी और गणेशजी की पूजा भी होती है।
 
क्या है व्रत के नियम?
यह व्रत बहुत कठिन होता है। इस व्रत को एक बार रखा जाता है तो जीवन भर रखना होता है। सिर्फ रोग या शोक में इसे उस साल छोड़ सकते हैं। व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न या जल ग्रहण नहीं करते हैं। व्रत के दौरान जब तक पारण नहीं हो जाता तप तक सोते नहीं हैं।