• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. हरतालिका तीज
  4. Hariyali Teej 2023 Muhurat, Katha n Upay
Written By

हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि और उपाय

हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि और उपाय - Hariyali Teej 2023 Muhurat, Katha n Upay
Shravan Hariyali Teej 2023 : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज कहते हैं। इसे मधुश्रवा और श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं। मुख्य रूप से हरियाली तीज का त्योहार उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया गया है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती जी का पूजन करती हैं। इस वर्ष यह पर्व शनिवार, 19 अगस्त 2023 को मनाया जा रहा है। 
 
आइए यहां पढ़ें यहां पढ़ें हरियाली तीज पर्व के शुभ मुहूर्त, कथा, उपाय और पूजन की विधि के बारे में
 
हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त : Hariyali Teej Muhurat 2023
 
हरियाली तीज : शनिवार, 19 अगस्त 2023 को
श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि का प्रारंभ- 18 अगस्त 2023 को 08.01 पी एम से, 
तृतीया तिथि का समापन- 19 अगस्त 2023 को 10.19 पी एम पर। 
 
ब्रह्म मुहूर्त- 04.25 ए एम से 05.09 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.47 ए एम से 05.52 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.58 ए एम से 12.51 पी एम
विजय मुहूर्त- 02.35 पी एम से 03.28 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06.57 पी एम से 07.19 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06.57 पी एम से 08.03 पी एम
अमृत काल-05.44 पी एम से 07.32 पी एम
निशिता मुहूर्त- 20 अगस्त को 12.03 ए एम से 12.47 ए एम तक। 
रवि योग- 20 अगस्त को 01.47 ए एम से 05.53 ए एम तक। 
 
हरियाली तीज के दिन का चौघड़िया : 
 
शुभ- 07.30 ए एम से 09.08 ए एम
चर- 12.25 पी एम से 02.03 पी एम
लाभ- 02.03 पी एम से 03.41 पी एमवार वेला
अमृत- 03.41 पी एम से 05.19 पी एम
 
रात्रि का चौघड़िया : 
 
लाभ- 06.57 पी एम से 08.19 पी एमकाल रात्रि
शुभ- 09.41 पी एम से 11.03 पी एम
अमृत- 11.03 पी एम से 20 अगस्त को 12.25 ए एम तक। 
चर- 12.25 ए एम से 20 अगस्त को 01.47 ए एम तक।
लाभ- 04.31 ए एम से 20 अगस्त को 05.53 ए एम तक। 
 
हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Katha) : भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती जी को सुनाई थी यह हरियाली तीज की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा। इस कथा के अनुसार शिव जी ने पार्वती जी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिव जी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे। तुम्हारे पिता दुखी थे। 
 
नारद जी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णु जी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं। पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णु जी से करने को तैयार हो गए। नारद जी ने विष्णु जी को यह शुभ समाचार सुना दिया, पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दुख हुआ। 
 
तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया, जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णु जी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा?
 
शिव जी ने आगे पार्वती जी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे। 
 
तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिव जी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिव जी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिव जी से करने को राजी हों। पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो। 
 
हरियाली तीज पूजा विधि : Hariyali Teej Puja Vidhi 
 
1. हरियाली तीज के दिन निर्जला व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। 
2. व्रत का संकल्प लेकर महिलाएं माता की चौकी को सजाती हैं और खुद भी सजती हैं। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं।
3. महिलाएं शिवजी और पार्वतीजी की षोडशोपचार पूजा यानी की 16 प्रकार की सामग्री से पूजा करती हैं। इसमें हल्दी, कुंकू, मेहंदी, गंध, पुष्प, नैवेद्य, माला, पान आदि सभी पूजन सामग्री अर्पित करती हैं।
4. पूजा की सामग्री अर्पित करके के बाद दोनों की आरती उतारी जाती है।
5. नैवेद्य अर्पण करने के बाद लोगगीत गाती है। झूला झूलती हैं और खुशियां मनाती हैं।
6. इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते हैं।
7. इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं।
8. इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है।
9. इस दिन हरे वस्त्र धारण करना, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी लगाना, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। 
10. इस त्योहार में स्त्रियां हरी लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं।
11. हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।
 
हरियाली तीज के उपाय : Hariyali Teej Upay 
 
1. हरियाली तीज पर जोड़े से (पति-पत्नी दोनों एकसाथ) भगवान शिव जी पूजा करें। 
 
2. हरियाली तीज के दिन शिव जी को सफेद और माता पार्वती को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
 
3. हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को खीर का भोग अर्पित करें। 
 
4. शादी योग्य जातक शीघ्र विवाह के लिए माता पार्वती की चरणों में 11 गांठ हल्दी की चढ़ाएं। ध्यान रहें कि शिव जी को हल्दी नहीं चढ़ती है।
 
5. अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करते हुए पार्वती माता को सोलह श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 
ये भी पढ़ें
केसर का तिलक क्यों लगाते हैं, क्या होगा फायदा