कौन है मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, जिसके सिर सज सकता है अफगानिस्तान का ताज!
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं। ऐसे में राष्ट्रपति पद के लिए एक नाम तेजी से उभरा है। वह नाम है मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का। मुल्ला बरादर ने मुल्ला उमर के साथ मिलकर 1994 में तालिबान की स्थापना की थी। आखिर कौन है मुल्ला बरादर और क्यों सबसे ज्यादा चर्चा में हैं।
मुल्ला बरादर का जन्म वर्ष 1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में हुआ था। वह आतंकी समूह तालिबान का सह-संस्थापक है। मुल्ला उमर के साथ मिलकर बरादर ने 1994 में तालिबान की स्थापना की थी। हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा के बाद तालिबान बरादर को दूसरा सबसे बड़ा नेता माना जाता है। 2010 में बरादर को आईएसआई ने कराची से गिरफ्तार किया था। आठ साल बाद 2018 में उसे अमेरिका के अनुरोध पर छोड़ा गया था।
बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी थी। 1992 में रूसियों के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया था। उसी दौरान मुल्ला बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और रिश्तेदार मोहम्मद उमर के साथ मिलकर कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था। 1994 में तालिबान बनाया गया।
हालांकि शिक्षा के उद्देश्य से शुरू किया गया तालिबान जल्द ही एक आतंकी संगठन के रूप में तब्दील हो गया। सरदारों के लिए अफगानों के बीच बढ़ती नफरत और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन के चलते तालिबान ने 1996 में एक के बाद प्रांतीय राजधानियों कब्जा जमा लिया।
इसके बाद उसने अफगानिस्तान की सत्ता हथिया ली। मुल्ला बरादर को तालिबान का प्रमुख रणनीतिकार भी माना जाता है। 2001 में अमेरिका के दखल और नॉर्दन अलायंस के साथ सीधी लड़ाई में तालिबानी शासन खत्म हो गया।
2012 तक मुल्ला बरादर के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। उस दौर में अफगानिस्तान सरकार शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए जिन बंदियों को रिहा करने की मांग करती थी, उनकी सूची में बरादर का नाम सबसे ऊपर होता था। अफगानिस्तान में 5 साल के तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला कई भूमिकाओं में नजर आया था। वह उप रक्षामंत्री सहित कई प्रशासनिक पदों पर भी रहा।
उम्मीद से बड़ी सफलता : रविवार को काबुल में घुसने के बाद देर रात को मुल्ला बरादर ने अफगानिस्तान पर कब्जे को एक बड़ी कामयाबी बताया था। बरादर ने कहा कि एक हफ्ते के भीतर देश के सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया गया। यह बेहद तेज और अद्भुत था। बरादर ने कहा कि हमें इस तरह सफल होने की उम्मीद नहीं थी।