इस टी20 विश्व कप से पहले और इसके दौरान ऑस्ट्रेलिया को अपना संतुलन बनाए रखने की चुनौती पेश होती रही है। टूर्नामेंट से पहले विशेष खिलाड़ियों की अनुपलब्धि, पांच लगातार सीरीज़ में पराजित होना, कप्तान का चोटग्रस्त होना, कोच पर बढ़ता दबाव, टीम चयन और फ़ॉर्म पर सवालिया निशान तो थे ही, साथ में इंग्लैंड से करारी हार के बाद टूर्नामेंट से जल्दी बाहर होने के भी कयास लगने लगे थे।
पाकिस्तान के विरुद्ध सेमीफ़ाइनल से पूर्व टीम ने दो ऐसे मैच खेले हैं कि आख़िरी चार में जगह बनाने में गणित का सहारा ज़रूर लेना पड़ा लेकिन इंग्लैंड बनाम साउथ अफ़्रीका में एक उलटफेर से भी उनके कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं आया।
ऐसा रहा फाइनल तक का सफरशुरुआत में यह टीम उतनी खास नहीं लग रही थी। दक्षिण अफ्रीका से टीम अंतिम ओवर में चले मुकाबले में जीती। इसके बाद श्रीलंका से हुए मुकाबले से टीम ने फॉर्म में वापसी की। इंग्लैंड से टीम को बुरी तरह 8 विकेट से हार का सामना करना पड़ी लेकिन बांग्लादेश और वेस्टइंडीज पर बड़ी जीत के साथ टीम सेमीफाइनल तक आयी।
टीम के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि उनके सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर फॉर्म में वापस लौट आए हैं। जोश हेजलवुड लगातार विकेट ले रहे हैं और स्पिनर एडम जैंपा ने भी 5 विकेट लिए हैं।
सबसे बड़ा कमाल ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान के खिलाफ किया। अब तक अविजित नजर आ रही पाकिस्तान को एक बेहद रोमांचक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने एशियाई टीम को 5 विकेट से हराया।
अब वह फाइनल में है और सामने है पड़ोसी न्यूजीलैंड। ऑस्ट्रेलिया ने इससे पहले कभी टी-20 विश्वकप नहीं जीता है और यह उनका टी-20 विश्वकप खिताब जीतने का सबसे अच्छा मौका है।
कप्तान ऐरन फिंच ने कहा, "क्रिकेट में कहानी बदलने में देर नहीं लगती। दस दिन पहले तक हमारी टीम को बूढ़ा कहा जा रहा था लेकिन अब हम परिपक्व कहलाए जा रहे हैं। लेकिन पहले दिन से मुझे इस टीम पर पूरा विश्वास था। हम पहले दिन से यह टूर्नामेंट जीतने आए हैं और आज भी मेरा यही मानना है।"
इस साल न्यूज़ीलैंड, वेस्टइंडीज़ और बंगलादेश के दौरों पर टीम ने संघर्ष ज़रूर किया है लेकिन टीम के भीतर एक भरोसा था जिसके बलबूते पर वह विश्व कप के फाइनल में पहुंच गई है।
इन कठिनाईयों से भी गुजरी ऑस्ट्रेलियाहालांकि सभी बड़े नाम मौजूद होने पर भी सफलता का रास्ता बहुत आसान नहीं लग रहा था। फ़िंच ख़ुद घुटने की सर्जरी से उबर रहे थे। डेविड वॉर्नर का आईपीएल अनुभव भूलने लायक़ था। मार्कस स्टॉयनिस को चोट लगी थी। एडम ज़म्पा को लॉकडाउन के चलते बाईरन बे में एक स्थानीय क्लब के साथ अभ्यास करना पड़ा था और मैथ्यू वेड को नई परिस्थितियों में बल्लेबाज़ी करने को कहा गया।
ऑस्ट्रेलिया के लिए सफलता का असली रूप तो रविवार रात के बाद ही पता चलेगा लेकिन फ़िंच मानते हैं कि टीम की स्थिति इन कठिनाईयों के चलते और बेहतर हो चुकी है। उन्होंने कहा, "एक चीज़ जो मुझे उत्साहित करती है वह है हमारे टी20 क्रिकेट में गहराई। कुछ ऐसे खिलाड़ियों को मौक़े मिले जिन्हें शायद सभी खिलाड़ियों के उपलब्ध होने पर नहीं मिल सकते थे। अगले दो-तीन सालों में ऑस्ट्रेलिया सफ़ेद-गेंद फ़ॉर्मैट के लिए कुछ अच्छी प्रतिभाओं को तराशने में क़ामयाब होगा। इस बात का मुझे गर्व है। विश्व कप से पूर्व नतीजे ज़रूर हमारे पक्ष में नहीं थे लेकिन हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है।"
फिंच के पास वो करने का मौका है जो आज तक कोई ऑस्ट्रेलियाई कप्तान नहीं कर पाया। टी-20 विश्वकप की खिताबी जीत।