Akal mrityu Chaturdashi Shradh 2024: श्राद्ध की प्रत्येक तिथि जहां उन दिवंगतों की तिथि है जो उस तिथि विशेष में चले गए हैं। उस तिथि में तो उनका श्राद्ध करना ही चाहिए। जैसे किसी व्यक्ति चतुर्थी तिथि के दिन देहांत हो गया है तो इस तिथि में तो श्राद्ध करना ही चाहिए परंतु यदि वह व्यक्ति अकाल मौत मरा है तो उसके लिए चतुर्दशी का श्राद्ध है। इसी तरह विधवा, बच्चों और माताओं के श्राद्ध की तिथि भी अगल होती है।
1. जिस व्यक्ति की मृत्यु डूबने, शस्त्र घात, विषपान, आत्महत्या या अन्य कारणों से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन करते हैं।
2. यदि आपके घर में किसी की अकाल मृत्यु हुई है, तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन ही करना चाहिए।
3. चतुर्दशी का श्राद्ध उन जवान मृतकों के लिए किया जाता है जो असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं।
4. आश्विन माह की चतुर्दशी तिथि को स्नानादि के बाद श्राद्ध के लिए भोग तैयार करें।
5. इस दिन पंचबलि का भोग लगता है। इसमें गाय, कुत्ता, कौआ और चींटियों के बाद ब्राह्मण को भोज कराने की परंपरा होती है।
6. इस दिन अंगुली में कुशा घास की अंगूठी पहनें और भगवान विष्णु और यमदेव की उपासना करें।
7. तर्पण और पिंडदान करने के बाद गरीबों को यथाशक्ति दान दें।
8. यदि तिथि ज्ञात नहीं हो तो सर्वपितृ अमावस्या पर इनका श्राद्ध कर सकते हैं।
9. इस दिन पवित्र धागा पहनने का भी रिवाज है, जिसे कई बार बदला जाता है। इसके बाद पिंडदान किया जाता है।
10. तीन, ग्यारह या चौदह ब्राह्मणों या बटुकों को भोजन कराएं और उन्हें यथाशक्ति दान दें।
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