• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. रूस-यूक्रेन वॉर
  3. न्यूज़ : रूस-यूक्रेन वॉर
  4. Russian attack on Europe largest nuclear plant
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (07:52 IST)

यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट पर रूस का हमला, चेरनोबिल से 10 गुना बड़े धमाके का खतरा

यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट पर रूस का हमला, चेरनोबिल से 10 गुना बड़े धमाके का खतरा - Russian attack on Europe largest nuclear plant
कीव। रूस और यूक्रेन युद्ध के 9वें दिन उस समय हड़कंप मच गया जब रूस ने यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पॉवर प्लांट पर हमला कर दिया। 
 
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने दावा किया कि रूसी सेना ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र ज़ापोरिज्जिया एनपीपी पर हर तरफ से गोलीबारी कर रही है। यहां आग पहले ही भड़क चुकी है. अगर यह फटता है, तो धमाका चेरनोबिल से 10 गुना बड़ा होगा।

इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ने ज़ापोरिज्जिया में हुए परमाणु बम हमले का एक वीडियो ट्वीट किया है।
 
युद्ध के बीच संयुक्त राष्‍ट्र ने अनुमान जताया है कि रूसी हमले की वजह से करीब एक करोड़ यूक्रेनी को वतन छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है। हमले से 209 नागरिकों की जान गई है, 1500 से ज्यादा नागरिक घायल हुए।

चेरनोबिल में क्या हुआ था : चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के चौथे रिएक्टर में 26 अप्रैल 1986 को एक भयानक धमाका हुआ था। इसे अब तक की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना माना जाता है। हादसे के बाद पर्यावरण को विकिरण से मुक्त करने और हादसे को बिगड़ने से रोकने के लिए कुल 1.8 करोड़ सोवियत रूबल (वर्तमान करीब 5 खरब भारतीय रुपए) खर्च किए गए थे।
 
यह दुर्घटना तब हुई जब एक RBMK-प्रकार परमाणु रिएक्टर में एक स्टीम टर्बाइन में एक परीक्षण चल रहा थी। परीक्षण के समय पावर में कमी की योजना बनाने पर पावर आउटपुट अचानक शून्य के बराबर हो गया। चालक परीक्षण के अनुसार पावर को वापस ऊपर नहीं ले आ पाए थे, जिससे रिएक्टर एक अस्थिर स्थिति में आ पहुंचा। परीक्षण के पूरे होने के बाद चालकों ने संयंत्र को बंद करने का फैसला किया। मगर बंद होने के बजाय एक अनियंत्रित परमाणु श्रृंखला अभिक्रिया की शुरुआत हुई जिससे अधिक मात्रा में ऊर्जा छोड़ी जाने लगी।
 
अंतर्भाग पिघलने लगा जिसके बाद 2 या अधिक विस्फोटों की वजह से रिएक्टर का अंतर्भाग और रिएक्टर बिल्डिंग तबाह हो गया। इसके तुरंत बाद अंतर्भाग में आग लग गई जिससे अगले 9 दिनों तक हवा में रेडियोधर्मी प्रदुषण छोड़ा गया जो USSR के कुछ भागों और पश्चिमी यूरोप तक पहुंच गया जिसके बाद यह आखिरकार 4 मई 1986 को खत्म हुआ। 70 प्रतिशत प्रदूषण 16 किलोमीटर दूर बेलारूस में जा पहुंचा। अंतर्भाग में लगे आग ने उतनी ही मात्रा में प्रदूषण छोड़ी जितनी विस्फोट ने छोड़ी थी।
 
रिएक्टर में हुए धमाके में 2 इंजीनियरों की मौत हुई और दो और बहुत बुरी तरह से जल गए। आग को बुझाने के लिए एक आपातकालीन सूचना घोषित की गई जिसमें अंतर्भाग को साफ किया गया और रिएक्टर को स्थिर किया गया। इस दौरान 134 स्टाफ सदस्यों को तीव्र विकिरण सिंड्रोम के साथ अस्पताल में ले जाया गया क्योंकि उन्होंने आइनाइज़ करने वाली विकिरण को अधिक मात्रा में सोख लिया था। इनमें से 28 लोग कुछ ही दिनों में मारे गए। बाकियों की मौत भी अगले कुछ 10 वर्षों में विकिरण से जुड़े कैंसर से हुई।
 
ये भी पढ़ें
पुतिन का दावा, खारकीव में 3,000 से अधिक भारतीय छात्र बंधक, भारत ने फिर किया खंडन