रूस यूक्रेन युद्ध का आज 1 साल पूरा हो गया। इस युद्ध ने जहां यूक्रेन को तबाह कर दिया वहीं रूस को भी काफी नुकसान पहुंचा। इस भीषण युद्ध में अब तक 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए। 63 लाख से ज्यादा बेघर हो गए और 90 लाख करोड़ की संपत्ति नष्ट हो गई। कई देश यूक्रेन की मदद से लिए आगे आए। इस युद्ध ने यूरोप और अमेरिका समेत कई देशों को आर्थिक रूप से करारा झटका दिया। दुनिया भर में महंगाई बढ़ी और लोगों को खाद्य संकट का भी सामना करना पड़ा। दुनिया के अधिकांश देश यूक्रेन के साथ होने के बाद भी खुलकर उसका साथ नहीं दे सके जबकि भारत ने इस पूरे मामले पर सावधानी भरी प्रतिक्रिया दी है।
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी 2022 को, रूसी सेना ने उत्तर, पूर्व और दक्षिण से यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया था। उस समय ऐसा माना जा रहा था कि यूक्रेन जल्द ही रूस के सामने घुटने टेक देगा। हालांकि नाटों, अमेरिका और यूरोपीय देशों के समर्थन से यूक्रेन ने रूस के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया।
तबाही की कहानी : रूसी मिसाइलों ने साल भर में कीव, खारकीव समेत यूक्रेन के कई शहरों को पूरी तरह तबाह कर दिया है। खंडहर में बदल चुके शहरों में अभी भी रूस की राह आसान नहीं दिखती। भले ही यूक्रेन को युद्ध में ज्यादा नुकसान हुआ हो लेकिन रूस को भी इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ा है। अमेरिकी पत्रिका न्यूज वीक की रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध में पुतिन की सेना को 1 साल में 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।
यूक्रेनी सेना ने दावा किया कि युद्ध में उसकी सेना ने 3350 रूसी टैंक, 6593 बख्तरबंद वाहन, 2352 तोपें, 471 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम, 244 एंटी-एयर सिस्टम, 299 विमान, 287 हेलीकॉप्टर, 2029 ड्रोन, 18 युद्धपोत और 5215 अन्य वाहन को नष्ट कर दिया। युद्ध में रूस के 1,45,850 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया गया है। हालांकि, यूक्रेन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा कभी साझा नहीं किया।
लंबा खिंच सकता है युद्ध : रूस और यूक्रेन में अभी भी भीषण युद्ध चल रहा है। रूस लगातार यूक्रेन पर हमले कर रहा है। यूक्रेनी लड़ाके भी मैदान में डटे हुए हैं और इन हमलों का करारा जवाब दे रहे हैं। अमेरिका द्वारा दी जा रही मदद यूक्रेन के योद्धाओं में जोश का संचार कर रही है। विशेषज्ञों के साथ ही यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का भी मानना है कि यह युद्ध अभी वर्षों तक खिंच सकता है।
UN चार्टर का उल्लंघन कर रहा है रूस : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने रूस पर यूएन चार्टर के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने रूसी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह हमारी सामूहिक अंतरात्मा का अपमान है।
G-7 देशों ने दी 39 अरब डॉलर की सहायता : जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों ने गुरुवार को यूक्रेन के लिए आर्थिक सहायता बढ़ाकर 39 अरब डॉलर कर दी है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मार्च तक इस देश को नया वित्तीय पैकेज देने का आह्वान भी किया ताकि उसे रूस के हमले के प्रभाव से निपटने में मदद मिल सके। जी-7 में फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और अमेरिका शामिल हैं।
तटस्थ रहे भारत और चीन : इस युद्ध में भारत और चीन को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी बड़े देश रूस पर दबाव बनाते नजर आए। हालांकि इन देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का रूस पर ज्यादा असर नहीं दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत और चीन का रवैया पूरी तरह तटस्थ रहा। अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर भारत ने रूस से बेहद कम दाम में तेल भी खरीदा।
खाद्य निर्भरता ने भारत को बचाया : रूस युक्रेन युद्ध की वजह से एक और दुनिया के अधिकांश देशों का हाल बेहाल कर दिया। खासकर यूरोप के कई देशों में खाद्य संकट भी नजर आया। रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से इन देशों में वस्तुओं के आयात पर बुरा असर पड़ा। इस वजह से ब्रिटेन, जर्मनी जैसे दिग्गज देशों की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई। यहां लोगों पर महंगाई की मार पड़ी। हालांकि खाद्य क्षेत्र में निर्भरता की वजह से भारत में महंगाई ज्यादा पैर नहीं पसार सकी। भारत में भी गेहूं समेत कई वस्तुएं के दाम तेजी से बढ़े। हालांकि सस्ता तेल खरीदना भारत के लिए फायदे का ही सौदा रहा।
Edited by : Nrapendra Gupta