मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. रोमांस
  3. प्रेम-गीत
  4. poem on break up

हिन्दी कविता : बिखराव...

हिन्दी कविता : बिखराव... - poem on break up
अपने बिखराव को जोड़ा बहुत
 

 
पर मुकम्मिल होता तो होता कैसे 
पत्थर दिलों के बीच बहा नदियों जैसे
 
कुछ पत्थरों ने चीर डाला मुझे
कुछ को रगड़कर मैंने रेत कर दिया
 
कुछ पत्थर बह गए बहाव में 
कुछ थे खड़े तटस्थ साक्षी भाव में 
 
कुछ घाट में स्थिर खड़े ही रह गए 
कुछ कंगूरों की कतारों पर जड़े गए 
 
कुछ बन गए शिव के अंग 
कुछ पड़े रहे रास्तों पर बेरंग 
 
नहीं बटोर पाता अपने टुकड़ों को 
क्योंकि वो बिखरे हैं 
तेरे अस्तित्व की सड़कों पर। 
ये भी पढ़ें
इस स्वतंत्रता दिवस पर बनाएं चटपटा मसालेदार तिरंगा पनीर