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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Modified: सोमवार, 25 जनवरी 2021 (15:33 IST)

26 जनवरी गणतंत्र दिवस : महाभारत काल में गणतंत्र

26 जनवरी गणतंत्र दिवस : महाभारत काल में गणतंत्र - Republic of Mahabharata period
महाभारत काल में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। महाभारत काल में प्रमुखरूप से 16 महाजनपद और लगभग 200 जनपद थे। 16 महाजनपदों के नाम : 1. कुरु, 2. पंचाल, 3. शूरसेन, 4. वत्स, 5. कोशल, 6. मल्ल, 7. काशी, 8. अंग, 9. मगध, 10. वृज्जि, 11. चे‍दि, 12. मत्स्य, 13. अश्मक, 14. अवंति, 15. गांधार और 16. कंबोज। उक्त 16 महाजनपदों के अंतर्गत छोटे जनपद भी होते थे। उक्त में कई में तो राजशाही थी या तानाशाही। मगध जनपद में तानाशाही का ही इतिहास रहा है। परंतु उक्त सभी में शूरसेन जनपद का इतिहास गणराज्य ही रहा है। बीच में कंस के शासन ने इस जनपद की छवि खराब की थी।
 
 
महाभारत में भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के सूत्र मिलते हैं। महाभारत में जरासंध और उसके सहयोगियों के राज्य को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में गणतंत्र को महत्व दिया जाता था। महाभारत काल में सैकड़ों राज्य और उनके राजा थे, जिनमें कुछ बड़े थे तो कुछ छोटे। कुछ सम्राट होने का दावा करते थे, तो कुछ तानाशाह और अत्याचारी थे। कुछ असभ्य लोगों का झुंड भी था, जिसे आमतौर पर राक्षस कहा जाता था। लेकिन जो राज्य महर्षि पराशर, महर्षि वेद व्यास जैसे लोगों की धार्मिक देशनाओं से चलता था वहां गणतांत्रिक व्यवस्था थी। महाभारत काल में अंधकवृष्णियों का संघ गणतंत्रात्मक था।
 
 
'यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चान्धकवृष्णय:,
त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोकालोकेश्वराश्च ये।
'भेदाद् विनाश: संघानां संघमुख्योऽसि केशव' - महाभारत शांतिपर्व 81,25/ 81,29
 
 
वृष्णियों का तथा अंधकों का पुराणों में उल्लेख मिलता है। वृष्णि गणराज्य शूरसेन प्रदेश में स्थित था। इस प्रदेश के अंतर्गत मथुरा और शौरिपुर तो गणराज्य थे। अंधकों के प्रमुख उग्रसेन थे जो आहुक के पुत्र और कंस के पिता थे। दूसरी ओर शूरसेन के पुत्र वसुदेव थे जो वृष्णियों के मुखिया थे। वृष्णि तथा अंधकों दोनों राज्यों का मिलाकर एक संघ बनाया गया था जिसका प्रमुख राजा उग्रसेन को बनाया गया था। इस संघीयराज्य में वंश या परंपरा का शासन ना होकर समयानुसार जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते थे। आपातकाल या युद्धकाल में ही सत्ता में बदलाव होता था।
 
संदर्भ : महाभारत शांतिपर्व
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