Kedarnath yatra ki puri jankari: उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा में केदारनाथ और बद्रीनाथ प्रमुख है। इसके बाद गंगोत्री और यमुनोत्री भी यात्रा मार्ग में आते हैं। बद्रीनाथ धाम में ही केदारनाथ (शिव ज्योतिर्लिंग), यमुनोत्री (यमुना का उद्गम स्थल) एवं गंगोत्री (गंगा का उद्गम स्थल) शामिल हैं। इनकी यात्रा को छोटा चार धाम यात्रा कहते हैं। आओ जानते हैं केदारनाथ यात्रा की पूरी जानकारी।
1. नर और नारायण पर्वत। विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। उनके तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिव प्रकट हुए थे। भगवान केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद बद्री क्षेत्र में भगवान नर-नारायण का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है। इसी आशय को शिवपुराण के कोटि रुद्र संहिता में भी व्यक्त किया गया है।
2. उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ के केदारेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित हुई। इसके अनुसार भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ के कपाट 6 मई को प्रात: 6.25 पर अमृत बेला में खुलेंगे। ऊखीमठ से केदारनाथ की डोली 2 मई को केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी। पुजारियों की यही से यात्रा का प्रारंभ होती है।
3. केदारनाथ यात्रा पर जा रहे हैं तो अभी से यहां की यात्रा के लिए बुकिंग करा लें। केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवा की बुकिंग शुरु हो चुकी है।
4. गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) को ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है। आप इसकी वेबसाइट पर जाकर बुकिंग कर सकते हैं। उत्तराखंड टूरिज्म डेवलप बोर्ड ने इस आशय की जानकारी दी।
5. सूत्रों के अनुसार इस बार केदारनाथ धाम के लिए गुप्तकाशी, सिरसी और फाटा से यात्रा का संचालन होगा। संचालित होने वाली हेली सेवा के लिए आज से ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग शुरू होगी। यहां से आप बुकिंक करा सकते हैं- https://heliservices.uk.gov.in/
6. हेली सेवा का दो तरफ का किराया करीब 5000 रुपए निर्धारित किया गया है।
7. यदि आप हेली सेवा से नहीं जा रहे हैं तो कुछ किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए आप अभी से ही यात्रा के दौरान काम आने वाली चीजों का बंदोबस्त कर लें। अभी से ही चलने की प्रैक्टिस भी कर लें।
8. आपको ठहरने के लिए होटल और खान-पान की व्यवस्था को लेकर तैयारियां अभी से ही करनी होंगी। इसके लिए आप GMVN की वेबसाइट पर आप अपने बजट के हिसाब से होटल, फूड और एक्टिविटीज की बुकिंग कर सकते हैं।
9. आप रास्ते के खतरों को समझकर अपने पास जरूरी सामान जरूर रखें। जैसे लाइफ जैकेट, जीपीएस मोबाइल, संपर्क बुक, कर्पूर, उनी कपड़े, सूखे मेवे आदि।
10. केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमाटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमाटर आप सड़क मार्ग से किसी भी प्रकार की गाड़ी से जा सकते हैं।
11. गौरीकुंड से आगे लगभग 16 किलोमाटर का रास्ता आपको पैदल ही चलना होगा या आप पालकी या घोड़े से भी जा सकते हैं।
12. सोनप्रयाग पहुंचने के बाद आप रात्रि विश्राम श्रीनगर (गढ़वाल) या रुद्रप्रयाग में करें और अगले दिन गौरीकुंड जाएं। हरिद्वार के रास्ते में आपको बहुत ऐसे स्थान मिलेंगे जहाँ आप रात में रुक सकते हैं। आप चाहें तो गुप्तकाशी में रुककर यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। गुप्तकाशी से गौरीकुंड 1:30 मीनट का रास्ता है। वहां से यात्रा प्रारंभ करें।
13. गौरीकुंड से केदारनाथ तक पहुंचने के लिए चढ़ाई प्रारंभ करने के पहले खुद को रिलेक्स करके जरूरी सामान जरूर रख लें। सुबह 5 बजे चढ़ाई शुरू कर दें। केदारनाथ पहुंच कर दर्शन करे फिर रात में रुकें या वापस गौरीकुंड वापस आ जाएं। वहां रुककर आप लौट जाएं।
14. केदारनाथ जाने के लिए मई से अक्टूबर के मध्य का समय आदर्श माना जाता है क्योंकि इस दौरान मौसम काफी सुखद रहता है। मंदिर के कपाट खुलने की तिथि अक्षय तृतीया और बंद होने की तिथि दीवाली के आसपास की होती है। बरसात के मौसम में जाना यहां ठीक नहीं होता।