इतिहास की इन 7 किताबों को जरूर पढ़ना चाहिए
History of Ancient India : भारतीय प्राचीन, मध्य और आधुनिक इतिहास की हजारों किताबें हमें पढ़ने को मिल जाएगी, परंतु एक अलग ही दृष्टिकोण से भारत के प्राचीन, मध्य और आधुनिक इतिहास को जानना हो तो हमें निम्नलिखित 7 किताबों को जरूर पढ़ना चाहिए। यह किताबें सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है। इन्हें पढ़कर यह समझ में आएगा कि हमें क्या पढ़ना चाहिए और क्या समझना चाहिए।
1. धर्मशास्त्र का इतिहास : जब हम इतिहास के शुरुआत की बात करते हैं तो भारतीय धर्म और यहां की संस्कृति के प्रारंभिक इतिहास को सबसे पहले जानना जरूरी है। भारतरत्न पाण्डुरंग वामन काने द्वारा लिखा गया 'धर्मशास्त्र का इतिहास' बहुत ही वृहद ग्रंथ है। इस ग्रंथ की सलाह हमने आपको इसलिए दी क्योंकि इसमें आपको इसके आरंभ में प्रसिद्ध एवं महत्त्वपूर्ण ग्रंथों तथा लेखकों का काल निर्धारण और उनके इतिहास ग्रंथों के बारे में जानकारी मिलेगी।
2. 'द आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया' : यह किताब अर्थशास्त्री और उपन्यासकार अमर्त्य सेन द्वारा लिखी गई है। इस किताब में भारत की संस्कृति और इतिहास को एक अलग ही नजरिये से लिखा गया है। इस किताब से हमें पता चलते है कि प्राचीन भारत में भी डिबेट और वाद-विवाद का प्रचलन था और यह भी कि किस तरह अंग्रेजों ने हमारे इतिहास के गौरवशाली तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया।
3. हड़प्पा सभ्यता और वैदिक साहित्य : अन्य पुस्तकों में हड़प्पा सभ्यता और वैदिक साहित्य- लेखक इतिहासकार भगवान सिंह की किताब बहुत ही प्रसिद्ध है। भगवान सिंह की सभी किताबें पढ़ना चाहिए।
4. वृहत्तर भारत का इतिहास : भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार द्वारा लिखा गया यह बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ है। रामशरण उपाध्याय कभी मॉरीशस में भारत के राजदूत भी रहे थे।
5. द आर्य समाज: एन अकाउंट ऑफ इट्स ऑरिजन, डॉक्टराइन एंड एक्टिविटी, विद ए बायोग्राफिकल स्केच ऑफ द फाउंडर : लाला लाजपत राय।
6. डिस्कवरी ऑफ इंडिया : यह किताब पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा द्वारा लिखी गई है। हालांकि कई लोग इस किताब से इत्तेफाख रखते हैं और मानते हैं कि नेहरू की दृष्टि इतिहास को लेकर संकिर्ण थी। फिर भी इस किताब को पढ़ने से हमें इतिहास की थोड़ी बहुत जानकारी मिलती है। यह किताब नेहरूजी ने 1942 से 1946 के बीच लिखी थी, जब आजादी के संघर्ष के दौरान वो जेल में थे।
7. अमंग द बिलीवर्स इन इस्लामिक जर्नी : यह नोबेल पुरस्कार विजेता वीएस नायपॉल की किताब है।