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Last Modified: शुक्रवार, 12 जनवरी 2018 (18:08 IST)

...और अब शौचालयों का रंग भगवा हुआ

...और अब शौचालयों का रंग भगवा हुआ - Toilets, Uttar Pradesh, Saffron color
इटावा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एनेक्सी तथा हज कमेटी कार्यालय के बाहरी दीवार के भगवा रंग से पुत जाने का मामला थमा नहीं था कि इटावा में शौचालयों के इसी रंग में कर दिए जाने को लेकर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है।
 
 
इटावा के गांव में शौचालयों की पुताई भगवा रंग से की गई है। इस रंग का इस्तेमाल करने वाले ग्राम प्रधान साफ तौर पर बताते हैं कि उन्होंने अपनी पसन्द से इस रंग का प्रयोग किया है। उनका कहना है कि भगवा रंग उनकी पसन्द का है। रंग मुख्यमंत्री की पसंद से ही मेल खाता है, इसीलिए उन्होंने अपने गांव में स्थापित कराए गए सभी शौचालयों को भगवा रंग से पुतवा दिया है।
 
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि अब तो शौचालयों को भी भगवा रंग में रंगवाया जा रहा है। यादव ने सवाल किया कि क्या इससे भगवान का अपमान नहीं हो रहा है। भगवा तो धार्मिक रंग माना जाता है। शौचालयों का रंग तो भगवा नहीं होना चाहिए। इटावा समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव का गृह जिला है।
 
उधर, इटावा के अमृतपुर गांव के प्रधान वेद पाल सिंह नायक ने शौचालयों को भगवा रंग में करने का पक्ष लेते हुए कहा कि रंगों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इसमें अगर किसी प्रकार की कोई राजनीति कर रहा है तो यह गलत है। यह रंग थोड़ा अलग है। यह अन्य रंगों से अलग हटकर दिखता है। इससे लोग प्रेरित भी होते हैं और शौचालय की उपयोगिता भी समझते हैं। प्रदेश सरकार की पसन्द भी भगवा है तो फिर क्यों न ग्राम पंचायतों में शौचालय का रंग भी भगवा हो।
 
उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर सभी लोगों से पूछकर और सहमति के बाद शौचालयों को भगवा रंग में रंगा गया है। यदि सफेद रंग शौचालय का होता तो उसके गंदा होने की संभावना ज्यादा रहती। इस रंग में ऐसा नहीं है।
 
गांव के ही अशोक ने कहा कि जब केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी सरकार है तो फिर क्यों न उसी रंग में रंगा जाए। इस गांव में 350 के आसपास शौचालय बन चुके हैं और इनमें से डेढ़ सौ को भगवा रंग से रंगा जा चुका है।
 
इसी गांव का दिवाकर बताता है कि मुख्यमंत्री को भगवा रंग पसंद है और हमें भी यह रंग पसंद है। मुख्यमंत्री की पसंद के चलते गांव के प्रधान ने भी शौचालय का रंग भी भगवा करवा दिया। उन्होंने बताया कि गांव के लोग अपने घरों को भी रंगने की तैयारी कर रहे हैं।
 
इटावा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. रमाकांत शर्मा साफ तौर पर कहते हैं कि भगवा रंग हिंदू धर्म में पूजा का प्रतीक माना गया है, लेकिन इसको किसी ऐसे स्थान पर प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए जहां पर उस रंग का अपमान होता हुआ नजर आये। सरकार के ऐसे निर्देश भी नहीं है कि भगवा रंग का ही इस्तेमाल किसी निर्माणाधीन इमारत या भवन पर किया जाए। इन स्थितियों से लोगों को बचना चाहिए।
 
धर्म रक्षक समिति के अध्यक्ष आंनदेश्वरी गिरि लालबाबा का कहना है कि भगवा हमारी संस्कृति का रंग है।  संन्यासी भगवा पहनते हैं। शौचालय के रंग को भगवा करके जो लोग यह दलील दे रहे हैं कि योगी सरकार का पसंदीदा रंग है यह पूरी तरह से गलत है। इस तरह के कृत्य को करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
 
इटावा के मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि शासन का ऐसा कोई निर्देश रंग को लेकर नहीं है। यह व्यवस्था ग्रामसभा स्तर पर तय करने का अधिकार होता है। इसमें बिना निर्देशों के कोई भी कुछ नहीं कर सकता है। इसके बावजूद जिला पंचायत राज अधिकारी को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि वह ग्राम प्रधान से इस संबंध में बात करें, ताकि मामले को बेवजह तूल नहीं दिया जाए।
 
इटावा के अमृतपुर गांव की आबादी करीब 5000 के आसपास है और इस गांव में करीब 350 शौचालय स्वच्छता योजना के तहत निर्मित कराए जा रहे हैं। इनमें से लगभग 150 शौचालयों को भगवा रंग से रंगा जा चुका है।
 
गौरतलब है कि प्रदेश में योगी सरकार के काबिज होने के बाद भगवा रंग की राजनीति चरम पर पहुंच गई है। सरकारी भवनों, पुलिस भवनों, हज हाउस के बाद अब शौचालय के रंगों को भी भगवा रंग से रंगने का काम शुरू कर दिया गया है। (वार्ता)
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