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Written By एन. पांडेय
Last Modified: बुधवार, 4 जनवरी 2023 (11:17 IST)

जोशीमठ पर मंडरा रहा है भयावह आपदा का खतरा, धंस रहे हैं घर

जोशीमठ पर मंडरा रहा है भयावह आपदा का खतरा, धंस रहे हैं घर - threat of disaster on joshimath in Uttarakhand
चमोली। दिन प्रतिदिन भू धसाव के कारण पौराणिक और ऐतिहासिक शहर जोशीमठ पर आपदा का भयावह खतरा लगातार बढ़ रहा है। अब तक करीब 559 मकानों पर भू धंसाव से दरारें देखी जा रही थी, लेकिन अब हाईटेंशन लाइन के खंभे भी झुक गए हैं। यही नहीं जोशीमठ की तलहटी वाले इलाके में भी भारी दरारें देखी जा रही हैं। इन दरारों से पानी का रिसाव भी होने लगा है।
 
वैज्ञानिकों की मानें तो जोशीमठ में किसी भी समय बड़ी त्रासदी लोगों के जीवन पर भारी पड सकती है। समय रहते लोगों को बचाया नहीं गया तो जान माल का भी बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
 
मंगलवार को जिला प्रशासन ने 6 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। पिछले कुछ समय से जोशीमठ में घरों में लगातार दरारें आ रही थी। यहां एशिया के सबसे बढ़े औली रोपवे के बेस की जमीन भी खिसक रही है। हाईटेंशन लाइन को थामे बिजली के खंभे भी जमीन धंसने के कारण झुकने लगे हैं। यही नहीं, जोशीमठ के निचले इलाके यानि जिस तलहटी पर जोशीमठ टिका है उस इलाके में भी घरों में दरारें देखी जा रही हैं।
 
जिला प्रशासन ने भू धंसाव से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की पहल शुरू तो की। लेकिन ये पहल समस्या की भयावहता के लिहाज से ऊँट के मुंह में जीरा ही हैं।
 
मंगलवार को मारवाड़ी इलाके में जेपी कंपनी की कालोनी में घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई। खतरे की बात ये है कि इन दरारों से पानी का रिसाव भी होने लगा है। कुल मिलाकर जोशीमठ आपदा के मुहाने पर बैठा है।
 
गढ़वाल केन्द्रीय विश्विद्यालय में भूगर्भ के प्रोफ़ेसर और हाल में उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट का कहना है कि जोशीमठ मलबे की प्लेट पर टिका है। लगातार निर्माण कार्यों से मलबे की इस प्लेट पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ये मलबा अब और दबाव सहन नहीं कर पा रहा है, इसलिए दरारें खतरनाक रूप ले रही हैं।
 
डॉ बिष्ट कहते हैं कि इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने जो तैयारी कर रखी हैं वे नाकाफी है। सरकार की एक्सपर्ट टीमें फिलहाल सरफेस ट्रीटमेंट पर ध्यान दे रही हैं जो बिल्कुल कारगर नहीं है। सरकार को समय रहते जोशीमठ के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना चाहिए और केंद्र सरकार से तत्काल मदद लेकर ठोस कार्य योजना बनानी चाहिए।
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