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Written By एन. पांडेय
Last Updated : शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022 (15:01 IST)

Haldwani: हल्द्वानी में अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विरोध में धरना प्रदर्शनों का दौर जारी

Haldwani: हल्द्वानी में अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विरोध में धरना प्रदर्शनों का दौर जारी - Round of protests continues in Haldwani
नैनीताल। हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे जमीन पर अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विरोध में धरना प्रदर्शनों का दौर जारी है। शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे विरोध प्रदर्शन में लोगों ने कैंडल मार्च भी निकाला। लोगों ने सरकार से उन्हें न्याय दिलाने की मांग की, साथ ही कहा कि अगर उन्हें हटाना ही है तो उनके पुनर्वास की व्यवस्था पहले की जाए।
 
उल्लेखनीय है कि बुधवार को रेलवे की जमीन पर कार्रवाई के पहले चरण में रेलवे और प्रशासन की टीम ने सीमांकन का काम शुरू हुआ था। कैंडल मार्च को समर्थन देने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक सुमीत हृदयेश, खटीमा विधायक भुवन कापड़ी जसपुर, आदेश चौहान जिलाध्यक्ष राहुल छिम्वाल, सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी व युवा कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष हेमंत साहू भी शामिल हुए।
 
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि वे वनभूलपुरा की जनता के साथ हैं। उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि क्षेत्रवासियों को किसी भी सूरत में उजड़ने नहीं दिया जाएगा। सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है और कांग्रेस उनकी आवाज बनकर उभरेगी।
 
विधायक सुमीत हृदयेश ने कहा कि कांग्रेस उनके लिए न्याय की लड़ाई लड़ेगी। उन्हें किसी भी सूरत में उजड़ने नहीं दिया जाएगा। यहां की जनता के साथ हो रहे अन्याय का बदला जरूर लिया जाएगा। भुवन कापड़ी और आदेश चौहान ने भी यहां की जनता को भरोसा दिलाया कि वे उन्हें किसी भी सूरत में उजड़ने नहीं देंगे।
 
सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी और शोएब अहमद ने भी कहा कि जब उनके पुरखे यहीं पर रहते आए हैं तो यह जमीन रेलवे की कैसे हो गई? उन्होंने न्याय व्यवस्था पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है और आशा है कि फैसला उनके पक्ष में आए।
 
 
नैनीताल जिले के हल्द्वानी की वनभूलपुरा बस्ती कभी भी तोड़ी जा सकने के भय से वहां के लोगों की नीद गायब हो गई है। करीब 50,000 लोगों के सिर से इस कड़कड़ाती ठंड में कभी भी छत हटाई जा सकती है। हाईकोर्ट से आदेश लिए जाने के बाद उनके सर पर ये तलवार लटकी हुई है।
 
यहां के लोगों की पैरवी कर रहे लोगों का कहना है कि वनभूलपुरा की जिस जमीन पर ये परिवार वर्षों से रह रहे हैं, कहा जा रहा है कि वह नजूल भूमि है। लेकिन कुछ समय पहले अचानक रेलवे ने इस जमीन पर दावा कर दिया।
 
वनभूलपुरा का प्रयोग सफल हो गया तो फिर पूरे देश में इसे दोहराया जाएगा। जहां कहीं भी नजूल भूमि पर लोग रह रहे हों, उस पर विवाद खड़ा करके लोगों को उजाड़ने का क्रम शुरू हो जाएगा और गाज सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों और गरीबों पर ही गिरेगी।
 
वनभूलपुरा बचाने के लिए सड़क से लेकर कोर्ट तक की लड़ाई लड़ने वाली 'बस्ती बचाओ संघर्ष समिति' ने हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद हल्द्वानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि रेलवे ने इस जमीन पर दावे के लिए जो नक्शा कोर्ट में पेश किया जिसके आधार पर हाई कोर्ट का फैसला आया, वह नक्शा 1969 का हैं जबकि यहां रहने वाले लोगों के पास 1937 की भी लीज है। यानी कि बस्ती के लोगों का दावा रेलवे के दावे से भी पुराना है। 
 
दूसरी बात समिति यह कह रही है कि रेलवे ने जो नक्शा दिया, वह रेलवे की प्लानिंग का है। केवल प्लानिंग के आधार पर इस जमीन को रेलवे की कैसे माना जा सकता? वनभूलपुरा एकमात्र बस्ती नहीं है, जो नजूल भूमि में बसी है। उत्तराखंड के कई इलाके नजूल भूमि पर काबिज हैं। ऐसे में यदि रेलवे की एक प्लानिंग के आधार पर वनभूलपुरा को उजाड़ दिया गया तो राज्य के कई हिस्सों में अन्य विभागों की भी ऐसी ही किसी पुरानी प्लानिंग के आधार पर लोगों को उजाड़ना आसान हो जाएगा।
 
यहां के कुछ लोग तो यह भी दावा कर रहे हैं कि हल्द्वानी में एक राजनीतिक दल इस बात को लेकर परेशान रहता है कि हल्द्वानी में उसके उम्मीदवार को कभी जीत हासिल नहीं हुई। इसका कारण इस क्षेत्र की अल्पसंख्यक आबादी का यहां बसा होना है। इसलिए यदि वनभूलपुरा बस्ती को तोड़कर यहां रहने वाले करीब 50 हजार लोगों को बेदखल कर दिया जाता है तो आने वाले समय में उक्त पार्टी की राह काफी आसान हो जाएगी। इसी के चलते यह योजना तैयार हुई है।
 
Edited by: Ravindra Gupta
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