कानपुर बालिका गृह मामले में प्रोबेशन अधिकारी और अधीक्षिका निलंबित
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित राजकीय बालिका गृह मामले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी और संस्था की अधीक्षिका को निलंबित कर दिया है। निदेशक (महिला कल्याण) मनोज कुमार राय ने शनिवार को बताया कि कानपुर के स्वरूप नगर स्थित राजकीय बाल गृह (बालिका) में लापरवाही बरतने की वजह से उक्त कार्रवाई की गई है।
वहीं प्रदेश सरकार की मंत्री स्वाति सिंह ने आरोप लगाया कि जो भी खबर चल रही है, जानबूझकर चलवाई गई है। विपक्ष सरकार की छवि खराब करना चाह रहा है।
राय ने कहा कि बालगृह में रह रही बालिकाओं में से 57 बालिकाएं कोरोनावायरस से संक्रमित पाई गई थीं, जिन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शेष 114 बालिकाओं को कानपुर में ही अन्यत्र भेजकर पृथक-वास केन्द्र में रखा गया।
उन्होंने कहा कि इसी क्रम में शासन एवं निदेशालय स्तर से दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित न कराए जाने, प्रिंट मीडिया, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया में बालिकाओं के बारे में भ्रामक खबरें फैलाने पर समय से दुष्प्रचार का खंडन न करने, अपने पद के दायित्वों का यथोचित निर्वहन नाकरने तथा विभाग की छवि धूमिल करने के आरोप में जिला प्रोबेशन अधिकारी, कानपुर नगर को तथा संस्था प्रभारी मिथलेश पाल को संस्था में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु पर्याप्त सतर्कता नहीं बरतने के कारण निलंबित कर दिया गया है।
राय ने बताया कि निलंबन की अवधि में दोनों को महिला कल्याण निदेशालय, लखनऊ से संबद्ध किया गया है। इस बीच महिला कल्याण मंत्री स्वाति सिंह ने शुक्रवार को कानपुर पहुंचकर महिला कल्याण विभाग के सभी गृह (संरक्षण गृहों) का निरीक्षण किया।
स्वाति सिंह ने कहा कि जो भी खबर चल रही है, जानबूझकर चलवाई गई है। लोगों को गुमराह करने और सरकार की छवि खराब करने की जिन लोगों की मानसिकता है, कहीं न कहीं वो सारी चीजें सामने आ गई हैं। विपक्ष सरकार की छवि को खराब करना चाह रहा है।
उन्होंने कहा कि रैंडम टेस्टिंग में एक बच्ची कोविड-19 से संक्रमित पाई गई। फिर दोबारा सबकी जांच की गई। जितने भी लोग पॉजिटिव आए, सबको इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। बाकी को पृथक-वास केन्द्र भेजा।(भाषा)