वड़ोदरा स्थित पारूल विश्वविद्यालय में संचालित फेकल्टी ऑफ आर्टस, पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस के तहत संचालित डिपार्टमेंट ऑफ सोश्योलॉजी की ओर से विगत दिनों जॉब अपाच्युर्निटी इन सोशल साइंसेज विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार के मुख्य अतिथि, प्रो. रमेश मकवाना ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया। प्रो. रमेश मकवाना ने सोशल साइंस को परिभाषित करते हुए इसे इकॉनामिक, फिजियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस के संदर्भ में समझाया। इसके साथ ही समाज विज्ञान को जीवन से जोड़कर समझाया।
प्रो. मकवाना ने नोटबंदी को सामाजिक संदर्भ में समझाते हुए इसके सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही समाज विज्ञान का ग्लोबल मुद्दो एवं आर्थिक मंदी जैसे समय में सकारात्मक भूमिका के संदर्भ में समझाया।
प्रो. मकवाना ने समतामूलक समाज के लिए प्रजातंत्र के ज्ञान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सोशल साइंटिस्ट की भूमिका एवं वसुंधेव कुटुम्बकम की विचारधारा पर विस्तार से प्रकाश डाला। यूथ लीडरशिप एवं सोशल साइंस में जॉब अपाच्युर्निटी पर बात करते हुए इसमें अवसरों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने सर्वे रिसर्च सहित विभिन्न रिसर्च की प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी। समाज विज्ञान का विज्ञापन की दुनिया में महत्व को समझाते हुए केडबरी के विज्ञापन 'असली स्वाद है जिंदगी का, कुछ मीठा हो जाए' एवं कोलगेट के विज्ञापनों में समाज विज्ञान का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समाहित होना बताया।
उन्होंने रिसर्च के महत्व, इसके पत्रकारिता के एसपेक्ट भी बताए। समाज विज्ञान में सर्वेयर, स्टेटिक्स ऑफिसर, काउंसलर, डेटा एनालिसिस, एनजीओ, अरबन एवं रिजनल प्लानर, करियर इन टीचिंग, लेबर ऑफिसर, पॉलिसी मेंकर तथा यूनेस्को एवं नाफो में जॉब की अपार संभावनाओं के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने एक अच्छे समाज विज्ञानी बनने के गुर भी सिखाए। इनमें उन्होंने एक अच्छे समाज विज्ञानी में अभिव्यक्ति एवं लिखने की कला, जटिल समस्याओं का विश्लेषण करने वाला, समय प्रबंधन, कम्यूटर का ज्ञान, स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के ज्ञान की जानकारी भी एक अच्छे समाज विज्ञानी में होने के लिए कहा।
पारूल विश्वविद्यालय के डीन, फेकल्टी ऑफ आर्टस, प्रिंसिपल पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस एवं प्रोफेसर जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन, प्रो. डॉ. रमेश कुमार रावत ने वेबिनार के आरंभ में प्रो. रमेश मकवाना का उद्बोधन के माध्यम से स्वागत किया एवं वेबिनार के अंत में आभार जताया। वेबिनार में देश के विभिन्न प्रदेशों से सैकड़ों विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।