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Last Modified: शुक्रवार, 30 जुलाई 2021 (13:04 IST)

Positive Story : कोरोना काल में 20 वर्षीय मूक-बधिर युवती ने पेश की अनूठी मिसाल

Positive Story : कोरोना काल में 20 वर्षीय मूक-बधिर युवती ने पेश की अनूठी मिसाल - Positive story of 20 years old deaf and mute teacher
बरहमपुर। ओडिशा के गंजम जिले में मूक बधिर 20 वर्षीय युवती कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल बंद होने के बाद अपने जैसे ही कुछ छात्रों को सांकेतिक भाषा के जरिए पढ़ा रही है। भुवनेश्वर में एक कॉलेज की तीसरे वर्ष की छात्रा रिंकी गौड़ा आजकल लांजिया गांव में अपने घर में ही रह रही है क्योंकि कोविड-19 स्थिति के कारण उसका कॉलेज बंद हो गया है।
 
भुवनेश्वर से करीब 173 किलोमीटर दूर लांजिया गांव में कम से कम चार और मूक एवं बधिर छात्र हैं जो सातवीं से नौवीं कक्षा में पढ़ते हैं तथा अपने घरों पर हैं। पिछले साल महामारी की पहली लहर के बाद से ही उनके स्कूल बंद हैं।
 
ऐसे वक्त में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान सांकेतिक भाषा सीखने वाली गौड़ा अपने घर पर उन्हें पढ़ाने के लिए आगे आई। हर दिन वह चार छात्रों के लिए दो घंटे की कक्षा देती है। इसके अलावा वह पिछले एक साल से खुद ऑनलाइन कक्षा ले रही है।
 
उसके पिता निरंजन गौड़ा ने कहा कि हम बहुत खुश हैं कि मेरी बेटी दूसरे छात्रों को पढ़ा रही है जो मूक एवं बधिर हैं। निरंजन गौड़ा मजदूर हैं। छात्रों को अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के अलावा रिंकी के माता-पिता उन्हें आए दिन अपने घर पर भोजन भी कराते हैं।
 
बरहमपुर के एक गैर सरकारी संगठन ‘सिटिजन्स एसोसिएशन फॉर रूरल डेवलेपमेंट’ ने इन छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए शिक्षण सामग्री उपलब्ध करायी है। एनजीओ के अध्यक्ष सुरेश साहू ने कहा कि हमारे सामुदायिक कार्यकर्ता हर हफ्ते छात्रों की पढ़ाई का निरीक्षण करने के लिए गांव का दौरा करते हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले संगठन ने रिंकी को स्कूल तथा कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए सहयोग दिया था।
 
साहू ने कहा कि हम रिंकी तथा उसके माता-पिता का अपने गांव के दिव्यांग बच्चों की मदद के वास्ते आगे आने के लिए आभार जताते हैं। इन बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को लेकर बहुत चिंतित थे क्योंकि उनके पास मूक एवं बधिर बच्चों की जरूरत के अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। इनमें से ज्यादातर बच्चों के माता-पिता मजदूर और किसान हैं। (भाषा)
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