मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Pakistan firing in Kashmir
Written By सुरेश एस डुग्गर

जम्मू सेक्टर में सीमावासियों की मुश्किल, नहीं मिल रहे मजदूर, विस्फोट के बाद भागे

जम्मू सेक्टर में सीमावासियों की मुश्किल, नहीं मिल रहे मजदूर, विस्फोट के बाद भागे - Pakistan firing in Kashmir
श्रीनगर। जम्मू सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। पहले से ही उन पर पाक गोलाबारी का खतरा मंडरा रहा था कि अब धान की रोपाई को श्रमिकों का अकाल पड़ने लगा है। दरअसल, आज एक सीमावर्ती खेत में पाक सेना द्वारा दागे गए अनफूटे मोर्टार में विस्फोट हो जाने के बाद एक प्रवासी श्रमिक की मौत हो गई तो श्रमिक खेतों से भाग खड़े हुए हैं। यह खतरा सीमावासियों पर भी मंडरा रहा है कि अगर सच में कोई अनफूटा बम उनके पांव तले भी फूट गया तो क्या होगा।
 
जम्मू के अरनिया सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास शुक्रवार को पुराने मोर्टार के विस्फोट से एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि छह लोग घायल हो गए। एक पुलिस अफसर ने इस बात की जानकारी दी है। जिस समय विस्फोट हुआ तब कुछ मजदूर जब्बोवाल सीमा बेल्ट पर काम कर रहे थे। पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए हैं। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।
 
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह धमाका मिट्टी में छिपे जीवित शैल के दुर्घटनावश फटने के कारण हुआ। मृतक व घायलों की फिलहाल पहचान नहीं हो पाई है। सीमा सुरक्षा बल व पुलिस इस मामले में छानबीन कर रहे हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि धमाके का क्या कारण है। अक्सर पाकिस्तान की ओर से दागे गए मोर्टार के कई शैल फटते नहीं हैं। ये जीवित शैल कई बार मिट्टी में दब जाते हैं व उनसे दुर्घटनावश कुछ टकराने से विस्फोट भी हो जाता है।
 
इस घटना के बाद जम्मू सेक्टर के कई गांवों में प्रवासी श्रमिकों ने खेतों में काम करने से इंकार कर दिया है। गांव चानना के राजकुमार के मुताबिक, पहले ही धान की रोपाई के लिए बहुत मुश्किल से मनमाने दामों पर प्रवासी श्रमिक मिले थे क्योंकि लगातार पाक गोलाबारी के कारण कोई भी प्रवासी श्रमिक सीमावर्ती खेतों में काम करने को राजी नहीं था और अब अनफूटे मोर्टार के धमाके में एक श्रमिक की मौत ने उन पर मुसीबतों का पहाड़ तोड़ दिया है।
 
वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि सीमावर्ती खेतों में काय करने के लिए प्रवासी श्रमिकों की कमी से सीमावासियों को जूझना पड़ रहा हो बल्कि हर साल उन्हें इसके लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है और फिर जब कभी पाक बंदूकों के मुंह खुलते हैं तो अक्सर उन्हें अपने खेतों में धान की रोपाई या गेहूं की बिजाई का सपना त्यागना पड़ता है।
 
नतीजतन सीमावती खेत बंजर भी होने लगे हैं। खासकर वे खेत जो तारबंदी के साथ हैं। हालांकि पहले यह हालत तारबंदी से सटे खेतों में थे पर अब गांवों के भीतर के खेतों में भी यही दशा इसलिए पैदा हुई है क्योंकि पाक सेना द्वारा दागे जाने वाले मोर्टार शैल गांवों के भीतर तक गिरे हैं।