देहरादून। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा हमले में हुए भीषण आतंकवादी हमले के एक दिन बाद बारूदी सुरंग निष्क्रिय करने के दौरान शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्ट को इस महीने के अंत में अपनी शादी के लिए घर आना था। वे अपने घर आए भी, लेकिन तिरंगे में लिपटे ताबूत में। उत्तराखंड ने अपने बहादुर बेटे को सोमवार को नम आंखों से विदाई दी।
मेजर के पार्थिव शरीर का हरिद्वार में गंगा के तट पर बने खरखरी श्मशान घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ सोमवार को अंतिम संस्कार किया गया और हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।
मेजर की अंतिम विदाई के दौरान हृदयविदारक दृश्य देखने को मिले। मेजर के बड़े भाई नीरज बिष्ट, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोशियारी एवं अन्य की मौजूदगी में उनके चचेरे भाई हर्षित बिष्ट ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान वंदे मातरम् के नारे हवा में गूंजते रहे।
इससे पहले मेजर के पार्थिव शरीर के सोमवार की सुबह नेहरू कॉलोनी स्थित उनके घर पर पहुंचने के बाद बिष्ट परिवार में मातम पसर गया। उनके शव को रविवार को शहर के एक सैन्य अस्पताल में रखा गया था। सैन्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों, राजनीतिकों, रिश्तेदारों, दोस्तों एवं आम लोगों का बड़ा हुजूम युवा सैन्य अधिकारी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर पर उमड़ पड़ा।
उनकी मां उनके ताबूत के पास रोती-बिलखती रहीं जबकि उनके पिता एसएस बिष्ट (पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारी) उनको शांत कराने की कोशिश करते रहे, हालांकि वे खुद भी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे।
पुलवामा आतंकवादी हमले के 1 दिन बाद 31 वर्षीय मेजर बिष्ट जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास एक बारूदी सुरंग को निष्क्रिय करते वक्त विस्फोट होने से शहीद हो गए थे।
उनका परिवार 7 मार्च को होने वाली उनकी शादी की तैयारी कर रहा था लेकिन शनिवार की शाम को आई खबर ने इन सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया। मेजर बिष्ट अपनी शादी के लिए 28 फरवरी को घर आने वाले थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा के कई नेताओं एवं विधायकों समेत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, विधायक विनोद चमोली, गणेश जोशी एवं मुन्ना सिंह चौहान जैसे कई राजनीतिकों ने अधिकारी को श्रद्धांजलि दी।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने भी उनके ताबूत पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल रतूरी एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अशोक कुमार उन तमाम पुलिस अधिकारियों में शामिल थे, जो मेजर बिष्ट को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पहुंचे थे।