सनावदिया, इंदौर। सन 1986 से पिछले 37 वर्षों की तरह से जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की निदेशक डॉ. जनक पलटा मगिलिगन (जनक दीदी) ने 52 पौधे लगाकर अपना 38 वां "रक्षा-बंधन" का पावन त्यौहार मनाया। उन्होंने अपने राखी वाले भाई भाई राजेंद्र ओचानी के साथ सनावदिया में अपने घर गिरिदर्शन के पीछे दुतनी पर्वत पर पौधारोपण कर रक्षा बंधन मनाया।
भारतीय त्योहार रक्षा बंधन पर बहन कलाई पर राखी बांधती है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और बंधन का प्रतीक है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वायदा करता है। इस अवसर पर लगातार 38 साल पेड़ लगाने की कहानी सुनाई। इसकी शुरुआत 1986 में जनक दीदी के साथ इंदौर से एक सिन्धी भाई राजेंदर ओचानी इंदौर दिल्ली मालवा एक्सप्रेस रेल यात्रा में परिचित होकर वापस आकर उन्हें अपनी पत्नी ज्योति के साथ मिलने जाया करते थे और उन्होंने दीदी से राखी बांधने की गुज़ारिश की तो वो बहुत सहजता से मान गयी लेकिन उनका मुंह मांगा उपहार बहुत असहज था।
राखी के सन्दर्भ में बड़ी सहजता से ज्योति भाभी ने दीदी से पुछा उन्हें सूट ज्यादा पसंद है या साड़ी? तो इस पर्यावण प्रेमी जनक दीदी राखी के उपहार स्वरुप वृक्ष का रोप ही मांगा और कहा कि सूट साड़ी, बहन-भाई सभी का एक दिन अंत होता है लेकिन वृक्ष हमेशा रहते हैं और हमें प्राणवायु, छाया, फल देते हैं।
वहीं से बरली संस्थान 'बहाई भवन भमोरी' के प्रांगण में हमने मिलकर पौधा लगाया था तब से आज तक पौधे लगाने का सिलसिला जारी है। भाई बहन मिलकर पौधा लगाकर वृक्षों की संख्या बढ़ाते जाएंगे क्योंकि वृक्ष ही सभी की रक्षा करेंगे। वृक्ष रहेंगे तो भाई बहन और स्रष्टि रहेगी। इस दिन सामूहिक रूप से पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण की रक्षा की जाती है।
जनक दीदी के साथ हर साल, वृक्षमित्रों की संख्या बढ़ रही है। पिछले 4 वर्षों से जब इंदौर स्वच्छता अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में उभरा है। उन्होंने अपना जूट बैग अभियान शुरू किया है। इंदौर जिला उस दिन से, प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. भरत रावत, जो अपनी जनक दीदी से प्यार करते हैं, ने प्लास्टिक बैग की जगह जूट का बैग उपहार में देना शुरू कर दिया और उनके जन्मदिन के साथ-साथ कई अन्य अवसरों पर "संदेशों वाले बैग'' उपहार में देते हैं। मु
''स्कुराते रहो, दूसरों के मुस्कुराने का कारण बनो" : जनक दीदी के 38वें राखी समारोह में भाई-बहन शामिल हुए, और पेड़ों के दोस्तों में राजेंद्र ओचानी, राजेंद्र सिंह (गुरुबक्स), राजेंद्र चौहान, जयश्री कीर्ति सिक्का, दीपक रावलिया एकलव्य, हेमंत और प्रशान, महेंद्र और अंश धाकड़ शामिल हुए। भरत भंडारी, धन्नू (महेश यादव) डॉ. भरत रावत और डॉ. काव्या रावत, डॉ. नीरजा पौराणिक, वीरेंद्र मेहरोत्रा और उनके दोस्त, बालकृष्ण सोलंकी, सृष्टि, प्रणीत दोनों बेटे, अविनाश सेठी, विभा, सुनील चौहान, गोविंद माहेश्वरी, मनोज नागर, आदित्य कृतिका मृदुल बहन। उनमें से अधिकांश उनके यहां बसने के बाद 10 वर्षों से अधिक समय से सनावदिया में उनके साथ जश्न मना रहे हैं।