शिमला/नई दिल्ली। himachal pradesh congress government sukhwinder sukhu : हिमाचल प्रदेश में नए नेतृत्व को लेकर निर्णायक कदम उठाने के बावजूद राज्य में कांग्रेस पार्टी के लिए अभी काम खत्म नहीं हुआ है क्योंकि उसके सामने गुटबाजी को दूर रखने और महत्वाकांक्षी चुनावी वादों को पूरा करने की दोहरी चुनौती है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री का रास्ता अभी कठिन है जिसमें पहली बाधा मंत्रिमंडल का गठन होगी। मंत्रिमंडल गठन के मामले में उन्हें पार्टी में प्रतिस्पर्धी समूहों के दबाव से निपटना होगा।
पार्टी के लिए सबसे पहली मुश्किल विभागों का आवंटन होगा क्योंकि दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थक उनके कथित प्रतिद्वंद्वी सुक्खू को शीर्ष पद पर काबिज किए जाने के बाद पहले से ही खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।
हो सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने शुरू में सही आवाज उठाई हो, लेकिन देखना यह होगा कि अपने खेमे को संतुष्ट करने के लिए वे क्या मोलभाव करती हैं।
इस तरह की चर्चा है कि उन्होंने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण विभाग मांगा है। विक्रमादित्य सिंह ने शिमला ग्रामीण से जीत दर्ज की है।
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व विक्रमादित्य सिंह को राज्य मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री बनाने पर सहमत हो गया है।
संगठनात्मक एकता की चुनौती के अलावा राज्य में कांग्रेस सरकार को जमीनी स्तर पर काम करने और घोषणापत्र के वादों को पूरा करने की आवश्यकता होगी।
चुनावी वादों को पूरा करने के लिए एक और कठिन कार्य राज्य सरकार के लिए वित्त जुटाना होगा। इन वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे।
हिमाचल पर 31 मार्च, 2002 तक लगभग 65,000 करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ को देखते हुए सुक्खू और उनकी टीम इसे कैसे हासिल करती है, इस पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।
राज्य की वित्तीय स्थिति पहले से ही मुश्किल में है। भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) का कहना है कि राज्य सरकार ने कर्ज ली गई धनराशि का 74.11 प्रतिशत पिछले कर्ज (मूलधन) के पुनर्भुगतान के लिए और 25.89 प्रतिशत पूंजीगत व्यय के लिए उपयोग किया है।
राज्य विधानसभा में 2020-21 के लिए पेश की गई कैग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार लगभग 39 प्रतिशत ऋण (लगभग 25,000 करोड़ रुपए) अगले 2 से 5 वर्षों में देय है।
कांग्रेस द्वारा किए गए चुनावी वादों को लागू करना एक चुनौतीपूर्ण काम होने जा रहा है, जिसमें पहले साल में एक लाख नौकरियां और पांच साल की अवधि में कुल पांच लाख नौकरियां देना शामिल है।
तत्काल कार्य विभिन्न सरकारी विभागों में राज्य की 62,000 रिक्तियों को भरना होगा, जिससे कर्मचारी लागत भी बढ़ेगी।
राज्य की हर वयस्क महिला को 1500 रुपए देने के वादे पर सालाना 5,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
सूत्रों ने कहा कि इसके साथ ही हर घर को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के वादे पर सालाना 2,500 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा।
वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के अनुसार कुल प्राप्तियां और नकद व्यय क्रमशः 50,300.41 करोड़ रुपए और 51,364.76 करोड़ रुपए अनुमानित हैं।
हिमाचल के लिए 2022-23 में राजस्व घाटा 3,903.49 करोड़ रुपए और राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपए रहने की संभावना है।
पार्टी को राज्य की सत्ता में लाने में मदद करने वाला सबसे बड़े वादे पुरानी पेंशन योजना की बहाली भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि हिमाचल प्रदेश के विकास में कोई बाधा नहीं आएगी, भले ही भाजपा ने राज्य में सत्ता गंवा दी हो।
सुक्खू ने शनिवार को कहा था कि महत्वपूर्ण फैसले लेते समय सभी हितधारकों को साथ लिया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि हम व्यवस्था को बदलना चाहते हैं। मुझे कुछ समय दें। हमें एक नई प्रणाली और नई सोच लाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
कांग्रेस ने सभी बुजुर्गों के लिए चार साल में एक बार मुफ्त तीर्थ यात्रा से लेकर हर विधानसभा क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित बजट तक कई महत्वाकांक्षी वादे किए थे।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए समर्पित बजट को शामिल करने वाली निधि देव भूमि विकास निधि का भी वादा किया गया है।
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के लोगों से 10 वादे किए थे जिनमें राज्य कैबिनेट की पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना की बहाली के अलावा राज्य की सभी वयस्क महिलाओं को 1500 रुपए देने का वादा शामिल है।
पार्टी ने सभी घरों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली और युवाओं को पांच लाख नौकरियों का वादा करके गरीबों को लुभाने की भी कोशिश की थी। पार्टी ने 680 करोड़ रुपए की स्टार्टअप निधि बनाने का भी वादा किया है।
पार्टी द्वारा 52 पृष्ठों के प्रतिज्ञा पत्र-हिमाचल, हिमाचलियत और हम में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विधायकों को विशेष बजट देने, बिजली परियोजनाओं से प्रभावित लोगों को प्रति परिवार एक नौकरी और बेरोजगारों को शहरी मनरेगा के तहत रोजगार देने का भी वादा किया गया है। भाषा Edited by Sudhir Sharma