ठाणे/मुंबई। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार को सोमवार को नवी मुंबई में चिलचिलाती धूप में खुले मैदान में आयोजित 'महाराष्ट्र भूषण' पुरस्कार समारोह में लू लगने से लोगों की मौत को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने जहां गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने और सरकार से इस्तीफे की मांग की, वहीं राकांपा ने इस त्रासदी की जांच की मांग की है।
लू लगने से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है जबकि 8 लोगों का अब भी इलाज चल रहा है। विपक्ष ने कार्यक्रम के आयोजन की जांच की मांग की है। कांग्रेस ने जहां गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने और सरकार से इस्तीफे की मांग की, वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने इस त्रासदी की जांच की मांग की है।
रविवार को रायगढ़ जिले के खारघर में 306 एकड़ में फैले मैदान में समाज सुधारक अप्पासाहेब धर्माधिकारी को 'महाराष्ट्र भूषण' पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग आए थे। घटनास्थल के सबसे नजदीकी मौसम विज्ञान केंद्र ने अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था।
अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि रविवार को कार्यक्रम में शामिल हुए 11 लोगों की लू लगने से मौत हो गई थी जबकि 2 मरीजों की बाद में मौत हो गई जिससे मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 13 हो गया। कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री कपिल पाटिल भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री शिंदे ने मौतों को 'बहुत दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया था और कहा था कि मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने इस बात की जांच की मांग की है कि नवी मुंबई में दोपहर के समय जब तापमान बहुत अधिक होता है तो 'महाराष्ट्र भूषण' पुरस्कार समारोह का आयोजन कैसे किया गया?
पवार ने रविवार देर रात नवी मुंबई के कमोठे स्थित एमजीएम अस्पताल का दौरा किया और लू से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता ने कहा कि यह महाराष्ट्र सरकार का कार्यक्रम था। अप्रैल-मई में तापमान बहुत ज्यादा रहता है इसलिए इस बात की जांच की जानी चाहिए कि पुरस्कार समारोह के लिए दोपहर का समय किसने तय किया था? शाह ने कार्यक्रम में धर्माधिकारी को सम्मानित किया था।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि लू लगने से हुई मौतों के लिए शिंदे सरकार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। पटोले ने पुणे में कहा कि यह एक सरकारी कार्यक्रम है। इसमें शामिल होने वाले लाखों लोगों को धूप से बचाने के लिए कोई इंतजाम क्यों नहीं था? यह अमानवीय है और इसलिए लोग मांग कर रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
राकांपा की लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने घटना की जांच के लिए समिति बनाए जाने की मांग की। सुले ने कहा कि शोक-संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं। चूंकि तापमान बढ़ रहा है, इसलिए सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करते समय सभी को थोड़ा संवेदनशील होना चाहिए। मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अनुग्रह राशि की घोषणा करते हुए सुना, लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि मानव जीवन की कीमत 5 लाख रुपए नहीं हो सकती।
सुले ने मांग की कि यह एक दुखद घटना है और यह राज्य के लिए एक काला दिन था। राज्य सरकार को एक (जांच) समिति बनानी चाहिए। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने हादसे के लिए महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि लोगों की सहूलियत के बजाय राजनीति को तरजीह दी गई।
राउत ने पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह शाम को भी आयोजित किया जा सकता था, लेकिन केंद्रीय मंत्री अमित शाह के पास समय नहीं था इसलिए कार्यक्रम दिन में आयोजित किया गया और लोग भीषण गर्मी तथा लू की चपेट में आ गए। राज्यसभा के सदस्य ने कहा कि पुरस्कार के पीछे की राजनीति लोगों की सुविधा पर हावी रही।
राउत ने कहा कि कार्यक्रम बेहद लंबा चला और लोग बीमार हो गए। उनमें से कुछ की इस वजह से मौत भी हो गई। कार्यक्रम में पहुंचे लोग अप्पासाहेब धर्माधिकारी के लिए वहां आए थे, मंच पर मौजूद किसी अन्य नेता के लिए नहीं।
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने भी सोमवार को हादसे पर दुख व्यक्त किया। शाह ने ट्वीट किया कि कल (रविवार) के महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह में शामिल हुए लोगों की मौत से मुझे गहरा दुख हुआ है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं उन लोगों के ठीक होने की प्रार्थना करता हूं जिनका वर्तमान में इलाज चल रहा है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने भी सोमवार को इस मामले को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधा। ठाकरे ने नवी मुंबई में अस्पताल में भर्ती मरीजों का हालचाल जानने के बाद कहा कि यह कार्यक्रम राजनीतिक स्वार्थ के कारण बड़े पैमाने पर भीड़ के साथ इतने विस्तृत तरीके से आयोजित किया गया था। मनसे प्रमुख ने कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आप इसके लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं? यह जानबूझकर नहीं किया गया था।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अप्पासाहेब धर्माधिकारी ने हादसे में 13 लोगों की मौत पर दुख जताया और कहा कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। धर्माधिकारी ने प्रेस में जारी एक बयान में कहा कि लू से लोगों की मौत मेरे लिए दुखदायी है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैंने अपने परिवार से किसी को खो दिया है। मुझे उम्मीद है कि इस घटना का किसी भी तरह से राजनीतिकरण नहीं हो। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में हम सब साथ हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta