चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर तेज होगी जंग
चुनावी साल में राजस्थान कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जंग और तेज होने के आसार हैं। 'सब कुछ ठीक' की तर्ज पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच कुछ समय के लिए 'युद्ध विराम' जरूर नजर आया, लेकिन यात्रा की समाप्ति के बाद एक बार फिर दोनों ही नेताओं ने एक-दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
दरअसल, पायलट की निगाह मुख्यमंत्री पद पर है, वहीं अशोक गहलोत किसी भी सूरत में यह पद छोड़ना नहीं चाहते। मुख्यमंत्री पद के मोह में गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से भी इंकार कर दिया था।
दोनों के बीच वाकयुद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। सचिन पायलट प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में लगातार गहलोत सरकार घेर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अफसरों और नेताओं को पेपर लीक मामले क्लीन चिट देने को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा था।
लेकिन, अब उन्होंने यह कहकर परोक्ष रूप से गहलोत को निशाने पर लिया है कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेकर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की अहवेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में अत्यधिक विलंब हो रहा है। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि यदि राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा।
राजस्थान में 1993 के बाद हर बार सत्ता बदलती है। राज्य की जनता यहां हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सत्ता परिवर्तन कर देती है। 1993 में भाजपा की लगातार दूसरी बार सरकार बनी थी, लेकिन इसके बाद यहां की जनता ने एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा को सत्ता में बने रहने का जनादेश दिया है। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस की सरकार है। 200 सदस्यीय विधानसभा वाले राज्य में 2018 में कांग्रेस को 100 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा 73 सीटें ही जीत पाई थी। पिछले चुनाव के समय सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
हालांकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का फायदा सचिन पायलट को ही ज्यादा मिला था क्योंकि इस यात्रा ने पायलट के प्रभाव वाले बड़े इलाके को कवर किया था। उस समय पायलट ने राहुल के सामने भीड़ जुटाकर अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया था। उन्होंने हाल ही में किसान सभाओं को भी संबोधित किया। पायलट और गहलोत के बीच दूरियों का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सचिन ने किसानों को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की सफलताएं तो गिनाईं, लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार का उल्लेख नहीं किया।
गहलोत ने कहा था बड़ा कोरोना : गहलोत भी पिछले दिनों सचिन पायलट पर तीखा प्रहार कर चुके हैं। बजट से पहले एक बैठक में उन्होंने कहा था कि पहले कोरोना आया फिर इसके बाद हमारी पार्टी के अंदर उससे 'बड़ा कोरोना' आया। कभी उपचुनाव तो कभी राज्यसभा के चुनाव में। यह बुरा समय था, लेकिन किसी न किसी तरह से समय कट गया। गहलोत की इस टिप्पणी को पायलट से जोड़कर देखा गया था।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने पायलट और गहलोत के बीच की दूरियों को खत्म नहीं किया तो राजस्थान विधानसभा चुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ सकती है। यदि ऐसा हुआ तो राज्य में हर बार सत्ता बदलने की परंपरा भी मुहर लग जाएगी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala