मिसालः एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने आगरा में फिर खोला अपना ‘कैफे’
एसिड अटैक की शिकार हुईं कुछ महिलाएं एक कैफे संचालित करती थीं, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से वो बंद हो गया था। अब एक बार फिर से इन महिलाओं ने कैफे खोलकर मिसाल पेश की है।
लोग इनकी तारीफ कर रहे हैं। दरअसल, शीरोज हैंगआउट कैफे लगभग दो साल के बाद आगरा और लखनऊ में फिर से खुल गया है।
शीरोज हैंगआउट कैफे आगरा में 10 दिसंबर 2014 को लांच किया गया था। दो साल के अंतराल के बाद ताज नगरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों की उपस्थिति में यह अपनी 7वीं वर्षगांठ के दिन खुला।
इस पहल को छांव फाउंडेशन का समर्थन मिला है। कैफे न केवल सर्वाइवर्स को रोजगार देता है, बल्कि एसिड हमलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस मुद्दे को पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए एक मंच के रूप में काम करता है।
2014 में 'स्टॉप एसिड अटैक' अभियान की शुरूआत के साथ परिवर्तन शुरू हुआ था। एसिड अटैक में बचे लोगों को सशक्त बनाने के लिए, आगरा में 'शीरोज हैंगआउट कैफे' शुरू किया गया था।
जिसमें कई एसिड अटैक के शिकार लोग काम करते हैं और इसमें अलग अलग तरह से अपना योगदान देते हैं।
कैफे का एक अलग राजस्व मॉड्यूल है यानी 'पे एज यू विश' यानी एक नेक काम के लिए लोगों को एक साथ लाना!
ताजमहल के पास बना यह कैफे दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मेहमान शीरोज हैंगआउट कैफे जा सकते हैं और लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं। उनके साहस और ताकत की लोग सराहना कर रहे हैं।