• देवी तारा कौन है।
• कब की जाती है देवी तारा की आराधना।
• देवी महातारा के बारे में जानें।
Mahatara Jayanti : प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महातारा जयंती मनाई जाती है। यह हिंदू धर्म मानने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भारतभर में बहुत ही श्रद्धा और रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन तथा मासिक दुर्गाष्टमी भी मनाई जा रही है।
इस बार 16 अप्रैल 2024, दिन मंगलवार को महातारा जयंती मनाई जाएगी। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार देवी तारा को ज्ञान एवं मोक्ष देने वाली देवी माना गया हैं। इस देवी को नील सरस्वती के रूप में भी जाना जाता है। यह देवी हाथ में खड्ग, तलवार और कैंची को शस्त्र के रूप में धारण दिखाई पड़ती हैं।
हर साल महातारा जयंती चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि को पड़ती है, जो दस महाविद्या में से क शक्ति का उग्र और आक्रामक स्वरूप हैं। इसे तंत्र साधना की देवी माना गया है, जो अत्यंत शक्तिशाली, बहुत ऊर्जावान तथा शीघ्र परिणाम देने वाली देवी हैं। देवी तारा की साधना करने वाले भक्तों को माता आकस्मिक लाभ, अकूत संपत्ति तथा समृद्धिभरा जीवन प्रदान करती है।
पुराणों में वर्णित देवी तारा की कथा के अनुसार अनुसार जब भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में जाना चाहा तब शिव जी ने वहां जाने से मना किया। इस इन्कार पर माता ने क्रोधवश पहले काली शक्ति प्रकट की, फिर दसों दिशाओं में दस शक्तियां प्रकट कर अपनी शक्ति की झलक दिखला दी। इस अति भयंकरकारी दृश्य को देखकर भगवान शिव घबरा गए। क्रोध में सती ने शिव को अपना फैसला सुना दिया, 'मैं दक्ष यज्ञ में जाऊंगी ही, या तो उसमें अपना हिस्सा लूंगी या उसका विध्वंस कर दूंगी।'
हारकर शिव जी सती के सामने आ खड़े हुए। उन्होंने सती से पूछा- 'कौन हैं ये?' सती ने बताया,ये मेरे दस रूप हैं। आपके सामने खड़ी कृष्ण रंग की काली हैं, आपके ऊपर नीले रंग की तारा हैं। पश्चिम में छिन्नमस्ता, बाएं भुवनेश्वरी, पीठ के पीछे बगलामुखी, पूर्व-दक्षिण में धूमावती, दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुर सुंदरी, पश्चिम-उत्तर में मातंगी तथा उत्तर-पूर्व में षोड़शी हैं और मैं खुद भैरवी रूप में अभयदान देने के लिए आपके सामने खड़ी हूं।' यही दस महाविद्या अर्थात् दस शक्ति है। बाद में मां ने अपनी इन्हीं शक्तियां का उपयोग दैत्यों और राक्षसों का वध करने के लिए किया था। इस तरह मां तारा के विभिन्न रूप दस महाविद्याअओं के रूप में जाने जाते हैं।
महातारा जयंती : 16 अप्रैल 2024, मंगलवार के मुहूर्त
दिन का चौघड़िया
चर- 09.08 ए एम से 10.44 ए एम
लाभ- 10.44 ए एम से 12.21 पी एम
अमृत- 12.21 पी एम से 01.58 पी एम
शुभ- 03.34 पी एम से 05.11 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 08.11 पी एम से 09.34 पी एम
शुभ- 10.57 पी एम से 17 अप्रैल 12.20 ए एम तक।
अमृत- 12.20 ए एम से 17 अप्रैल 01.44 ए एम तक।
चर- 01.44 ए एम से 17 अप्रैल 03.07 ए एम तक।
आज का शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 04.25 ए एम से 05.10 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.48 ए एम से 05.54 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.55 ए एम से 12.47 पी एम
विजय मुहूर्त- 02.30 पी एम से 03.21 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06.46 पी एम से 07.09 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 06.48 पी एम से 07.54 पी एम
अमृत काल- 10.17 पी एम से 17 अप्रैल 12.02 ए एम,
निशिता मुहूर्त- 11.58 पी एम से 17 अप्रैल 12.43 ए एम,
सर्वार्थ सिद्धि योग- 17 अप्रैल 05.16 ए एम से 05.53 ए एम तक।
रवि योग- 17 अप्रैल 05.16 ए एम से 05.53 ए एम तक।
आज के योग- गण्ड मूल, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, आडल योग।
मंत्र-
* ॐ ह्रीं ह्रीं स्त्रीं हूं।।
* ॐ ह्रीं त्रीं ह्रुं फट्।।
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