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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: शनिवार, 31 जुलाई 2021 (15:50 IST)

चर्चित मुद्दा: असम-मिजोरम बॉर्डर विवाद में मोदी सरकार देगी दखल?

चर्चित मुद्दा: असम-मिजोरम बॉर्डर विवाद में मोदी सरकार देगी दखल? - Will the Modi government intervene in the Assam-Mizoram border dispute?
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद अब बढ़ता ही जा रहा है। वैरेंगते में हुई हिंसा के मामले में मिजोरम पुलिस के असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा समेत राज्य चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद अब मामले ने और तूल पकड़ लिया है। दूसरी ओर असम पुलिस ने कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त समेत मिजोरम सरकार के 6 अधिकारियों को धोलाई पुलिस थाने में सोमवार को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है।
 
देश के इतिहास में शायद यह पहला मामला है जब दो राज्यों के बीच सीमा विवाद इस स्तर तक पहुंच गया है कि जब एक राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ आपराधिक धाराओं में दूसरे राज्य में केस दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि सीमा विवाद को लेकर असम और मिजोरम के मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर भी भिड़ चुके है और मामले को हल करने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से गुहार लगा चुके है। 
 
असम-मिजोरम में सीमा विवाद लंबे वक्त से चल रहा है। विवाद को हल करन के लिए 24 जुलाई को शिलॉन्ग में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पूर्वोतर राज्यों के सभी मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। गृहमंत्री की इस बैठक के अगले दिन ही असम-मिजोरम में चल रहे सीमा विवाद ने हिंसक रुप ले लिया था और जिसमें असम के 6 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। 
 
सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद असम ने राज्यों के लोगों को मिजोरम की यात्रा नहीं करने की एडवाजरी जारी की थी और मिजोरम में रह रहे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा था। इसके बाद मिजोरम पुलिस ने असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है वहीं इस पूरे मामले पर मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने केंद्र से अपील की है कि अब वह वक्त आ गया है कि केंद्र को सीधा दखल देकर इस मुद्दें को सुलझाना चाहिए।
असम-मिजोरम विवाद को केंद्र कैसे हल कर सकता है इसको लेकर 'वेबदुनिया' ने देश के जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से खास बातचीत की। 'वेबदुनिया' से बातचीत में सुभाष कश्यप कहते हैं कि संविधान के प्रावधानों के मुताबिक दो राज्यों के बीच हुए विवाद को हल करने में केंद्र सरकार सीधा हस्तक्षेप कर सकती है।

केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 256 और 257 के तहत दोनों राज्यों को विवाद को हल करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दे सकती है और दोनों राज्यों को यह निर्देश मानने भी होंगें। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि अगर केंद्र के निर्देश को कोई राज्य नहीं मानता है तो यह माना जाएगा कि वह राज्य संविधान का उल्लंघन कर रहा है और और अंतिम विकल्प के तौर पर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

वह आगे कहते हैं कि  केंद्र के निर्देशों को राज्य अगर नहीं मानते है तो इसका अर्थ यह लगाया जाएगा उस राज्य में संविधान के आधार पर सरकार नहीं चल रही है और केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 356 का उपयोग कर वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकती है। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत भी केंद्र सरकार का यह दायित्व है कि किसी भी राज्य में अगर आंतरिक  हालात बिगड़ते है तो उसको रोके।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि अगर दो राज्यों या दो से अधिर राज्यों या संघ सरकार और राज्य के बीच कोई विवाद होता है तो उसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है और कोई भी राज्य इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने के लिए स्वतंत्र है।
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