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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 24 जून 2022 (08:29 IST)

इनसाइड स्टोरी : महाराष्ट्र में भाजपा के ऑपरेशन लोटस से खिलेगा 'कमल'?

इनसाइड स्टोरी : महाराष्ट्र में भाजपा के ऑपरेशन लोटस से खिलेगा 'कमल'? - Will BJP return to power in Maharashtra with Operation Lotus?
महाराष्ट्र में शिवसेना में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद एक बार फिर ऑपरेशन लोट्स को लेकर चर्चा शुरु हो गई है। महाराष्ट्र में बीते तीन दिन से मचे सियासी घमासान के बीच पड़ोसी राज्य गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की नजर महाराष्ट्र पर है और देंवेंद्र फडणवीस राज्य हित में फैसला लेने के लिए सक्षम है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच पहली बार भाजपा के किसी बड़े नेता ने इस बात को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि महाराष्ट्र में शिवसेना के अंदर मची खींचतान पर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नजर बनाए हुए है और पार्टी देवेंद्र फडणवीस की आगे कर कोई फैसला ले सकती है। 
 
महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोट्स से खिलेगा कमल?- गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत के बयान के बाद क्या यह माना जाए कि महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोट्स शुरु हो गया है? दरअसल महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की शिवसेना से बगावत को भी ऑपरेशन लोट्स से जोड़कर देखा जा रहा है। राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव में शिवसेना विधायकों की क्रॉस वोटिंग को ऑपरेशन लोट्स की शुरुआत के तौर पर देखा गया।
 
इस बीच कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि विधायकों को सूरत और गुवाहटी ले जाना भाजपा की चला है और भाजपा महाराष्ट्र सरकार को गिराने की हर कोशिश कर रही है। उन्होंने महाराष्ट्र के सियासी हालात के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। 
 
ऑपरेशन लोट्स BJP के लिए सत्ता का ट्रंप कार्ड- देश की सियासत में बीते कुछ वर्षो से ऑपरेशन लोट्स भाजपा के लिए सत्ता हासिल करने का ट्रंप कार्ड बन गया है। आंकड़ों को देखे तो महाराष्ट्र से पहले बीते 6 सालों में पांच राज्यों में भाजपा ने ऑपरेशन लोट्स से सत्ता में वापसी की है।

महाराष्ट्र से पहले मार्च 2020 में ऑपरेशन लोट्स से भाजपा ने मध्यप्रदेश में सत्ता में वापसी की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायक एक साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।

कांग्रेस विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़ने से मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोट्स से भाजपा ने सत्ता में वापसी की और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। 
2018 में कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार भी ऑपरेशन लोट्स का शिकार बनी थी। कांग्रेस और जेडीएस विधायकों के दलबदल के चलते कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन वाली कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था और वहां भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। कांग्रेस और जेडीएस दोनों ने भाजपा पर सरकार गिराने के लिए ऑपरेशन लोट्स चलाने का आरोप लगाया था। 

बड़े राज्यों के साथ-साथ छोटे राज्यों में भी ऑपरेशन लोट्स के सहारे भाजपा ने सत्ता में वापसी की थी। अरुणाचल प्रदेश में सितंबर 2016 में कांग्रेस सरकार उस समय गिर गई जब मुख्यमंत्री पेमा खांडू के साथ पार्टी के 44 में 43 विधायक दलबदल कर भाजपा समर्थित फ्रंट में शामिल हो और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। 
वहीं मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी कांग्रेस सरकार इसलिए नहीं बना पाई क्योंकि कांग्रेस विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी औऱ भाजपा ने नगा पीपुल्स फ्रंट पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली।

इस तरह साल 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी विधायकों की बगावत के चलते सरकार नहीं बना पाई और चुनाव में कांग्रेस से पिछड़ने के बाद भी भाजपा ने सरकार बना ली।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक 2016-2020 के दौरान विभिन्न दलों के 405 विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़ी दी और फिर से चुनावी मैदान में हाथ आजमाया। पार्टी छोड़ने में से सबसे ज्यादा 182 विधायक भाजपा में शामिल हुए। 
 
महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों का पहले भाजपा शासित राज्य गुजरात के सूरत उसके बाद भाजपा शासित ही राज्य असम के गुवाहटी जाने के पीछे भाजपा की बड़ी भूमिका देखी जा रही है। ऑपरेशन लोट्स जिसने चुनाव में हार के बाद भी कई राज्यों में भाजपा को सत्ता दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई क्या वह महाराष्ट्र में कामयाब होगा या नवंबर 2019 की तरह महाराष्ट्र में एक बार फिर ऑपरेशन लोट्स असफल होगा अब यह देखना दिलचस्प होगा।