गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच राजधानी दिल्ली के एमसीडी चुनाव की तारीखों के एलान ने पूरा सियासी पारा गर्मा दिया है। गुजरात के साथ एमसीडी चुनाव की तारीखों के एलान ने आम आदमी पार्टी के सामने दोहरी चुनौती पेश कर दी है। दिल्ली में बीते भले ही आम आदमी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में प्रचंड बहुत के साथ काबिज होकर दिल्ली को अपना गढ़ बता रही हो लेकिन एमसीडी को भाजपा से बेदखल करना अब भी उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
वहीं आम आदमी पार्टी इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर गुजरात में भाजपा को तगड़ी चुनौती पेश करने का दावा करती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में वर्तमान चुनावी परिदृश्य में जिस पार्टी की सबसे अधिक चर्चा है वह है आम आदमी पार्टी। चर्चित मुद्दे में आज बात करेंगे कि क्या आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल इस चुनावी चक्रव्यूह को भेद पाते है या सियासी रण में उन्हें गुजरात के साथ-साथ अपने गढ़ दिल्ली में भी फिर एक हार का सामना करना पड़ेगा।
इसुदान गढ़वी काे चेहरे का चुनावी दांव?-गुजरात में आम आदमी पार्टी अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वान्वित नजर आ रही है। शुक्रवार को गुजरात में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी के नाम का एलान करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पार्टी गुजरात के अगले मुख्यमंत्री के नाम का एलान कर रही है और इसुदान गढ़वी गुजरात के अगले मुख्यमंत्री होंगे। केजरीवाल ने कहा कि गुजरात की जनता ने बदलाव का मन बना लिया है और गुजरात की जनता बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार है।
दरअसल पंजाब की तर्ज पर गुजरात में किसान परिवार से आने वाले इसुदान गढ़वी के नाम का एलान कर आम आदमी पार्टी ने आम जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश की है। ओबीसी वर्ग से आने वाले इसुदान गढ़वी राज्य में 48 फीसदी वाले ओबीसी समुदाय को प्रभावित करने के साथ किसानों को भी प्रभावित कर सकते है। गुजरात के राजकोट, जामनगर, कच्छ, बनासकांठा, जूनागढ़ में गढ़वी समाज की बड़ी आबादी है और गुजरात की राजनीति में गढ़वी समाज को अब तक कोई खास प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है। ऐसे में इस बड़े वोट वर्ग को अपनी ओर लाने की कोशिश आम आदमी पार्टी ने की है।
भाजपा की पिच पर केजरीवाल की बल्लेबाजी?-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गढ़ गुजरात में सेंध लगाने के लिए आम आदम पार्टी भाजपा की पिच पर आकर बल्लेबाजी कर रही है, यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आम आदमी पार्टी चुनाव में हिंदुत्व, मुफ्त के साथ इमोशनल कार्ड पर दांव लगाने से परहेज नहीं कर रही है। जिस हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर नरेंद्र मोदी गुजरात से दिल्ली पहुंचे है उसकी हिंदुत्व का दांव चल कर केजरीवाल दिल्ली से गुजरात पहुंचने की तैयारी में दिखाई दे रहे है। देश की करेंसी पर लक्ष्मी व गणेश की तस्वीर छापकर अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी की समस्याओं के हल के लिए उनका आशीर्वाद पाने का सुझाव देना इसकी एक बानगी है।
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल गुजरात की जनता के सामने अपने दिल्ली मॉडल को पेश कर रहे है। तीन गांरटी घोषणा दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए आप का सबसे बड़ा चुनावी दांव है। इसमें गुजरात में सरकार बनने पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के एलान के साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति और 31 दिसंबर तक बकाया बिजली के बिल की माफी की घोषणा की है। इसके साथ बेरोजगारों को नौकरी के साथ बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिलने तक तीन हजार प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा है। आम आदमी पार्टी का यह चुनावी दांव भाजपा के उस मुफ्त राशन–मुफ्त मकान जैसे कार्ड का जवाब है जिसके सहारे भाजपा ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी।
गुजरात जहां पिछले तीन दशक से विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला हो आया है वहां इस बार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी खुद को जनता के सामने एक विकल्प के तौर पर पेश कर रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा को कड़ी चुनौती पेश करने वाली कांग्रेस का चुनावी एलान के बाद साइलेंट रहने से आप को एक मौका मिल रहा है।
गुजरात की राजनीति को बीते कई दशक से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुधीर एस.रावल कहते हैं कि इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। भाजपा की तर्ज पर आम आदमी पार्टी ने बहुत ही होशियारी से एक चुनावी माहौल बनाने का काम किया है। अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी चुनाव में माइंडगेम खेल रही है और उसका असर भी देखा जा रहा है। हलांकि चुनाव में आम आदमी पार्टी को भाजपा या कांग्रेस किसको कितना डैमेज करेगी यह उम्मीदवारों के एलान के बाद ही साफ होगा।
AAP की राह आसान नहीं?-गुजरात में ढाई दशक के सत्ता में काबिज भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ हिंदुत्व, विकास और डबल इंजन की सरकार के विकास के मुद्दे पर चुनावी मैदान में है, ऐसे में अरविंद केजरीवाल और इसुदान गढ़वी की जोड़ी भाजपा को कितनी चुनौती पेश कर पाएगी यह कहना बहुत मुश्किल है। ऐसे में जब गुजरात का पूरा चुनाव परिदृश्य में भाजपा मोदी मोड में है,ऐसे में पीएम मोदी के चेहरे के सामने इसुदान गढ़वी का चेहरा और सियासी कद काफी छोटा है जो आप की राज्य में सत्ता की दावेदारी में सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है।
इसके साथ राज्य में भले ही आम आदमी पार्टी चुनावी महौल बनाने में कामयाब दिख रही हो लेकिन कांग्रेस की गुजरात में अब भी गहरी पैठ है। कांग्रेस भले ही अभी मीडिया में नहीं दिख रही हो लेकिन लो प्रोफाइल रहकर ग्राउंड पर बहुत ही एक्टिव है।
राजनीतिक विश्लेषक सुधीर एस.रावल गुजरात चुनाव में विकास एक प्रमुख मुद्दा रहेगा और भाजपा पांच साल नहीं पिछले 20 साल के सरकार (केशुभाई पटेल की सरकार शामिल नहीं) की उपलब्धियों को जनता को गिनाएग। वहीं कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे के साथ मोरबी के साथ भष्टाचार के मुद्दें को उठाएगी।
दरअसल गुजरात के चुनावी मुकाबले में आम आदमी पार्टी इस बार पूरे मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। भाजपा और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी जनता के सामने खुद को एक विकल्प के तौर पर पेश कर रही है। पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आम आदमी पार्टी अगर अपनी पूरी ताकत के साथ गुजरात के चुनावी मैदान में आ डटी है तो इसके पीछे भी अपने कारण है। बीते पांच सालों में आम आदमी पार्टी ने राज्य में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है और नगरीय निकाय चुनाव में उसने मजबूत स्थिति भी दर्ज की है। इस साल की शुरुआत में हुए सूरत नगर निगम चुनाव में जीत हासिल करने से आप के चुनावी हौंसले बुलंद है।
वहीं दूसरे ओर एससीडी के चुनाव की तारीखों के एलान के साथ अरविंद केजरीवाल की अग्निपरीक्षा शुरु हो गई है। अरविंद केजरीवाल जो आम आदमी पार्टी के एक मात्र चेहरा है उनके सामने चुनौती है कि वह गुजरात विधानसभा के साथ-साथ अपने गढ़ दिल्ली में कैसे भाजपा की चुनौती से निपटेंगेे।