इंदौर में एक बार फिर दिल के दौरे से ग्वालियर के एक व्यक्ति अमरदीप सराह की मौत हो गई। जिस शख्स की मौत हुई वो कुश्ती का पहलवान रह चुका है। कुश्ती में कई अवॉर्ड जीते और बाद में कुश्ती छोड़कर खेती करने लगे थे। हाल ही में इंदौर में आयोजित दंगल प्रतियोगिता में अपने पहलवान दोस्त रेहान खान को चीयर-अप करने के लिए ग्वालियर से इंदौर आए थे। जैसे ही रेहान ने कुश्ती जीती वैसे ही उनकी तबियत बिगड़ गई। कहा जा रहा है कि उसे वक्त अमरदीप जोर-जोर से चिल्ला रहे थे और बेहद खुश और उत्साहित थे।
आमतौर पर यह माना जाता है कि जिम जाने वाला व्यक्ति फिट होता है। कम से कम उस व्यक्ति को तो हार्ट अटैक नहीं आ सकता, जो रेग्यूलर जिमिंग कर रहा है। लेकिन पिछले कुछ समय से जिम में वर्क आउट करते भी लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं। अब तो कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों को भी दिल का दौरा पड़ रहा है।
कई बार डांस करते हुए तो कई बार पैदल वॉक करते हुए भी लोगों को दिल के थमने पर मरते हुए देखा गया है। दरअसल, डॉक्टरों के साथ एक लंबी बातचीत में सामने आया है कि एक्सरसाइज करते हुए या किसी दूसरी तरह की फिजिकल एक्टिविटी करते समय अगर किसी को हार्ट अटैक आता है तो इसमें जिन लोगों की मौत हो जाती है तो इसके पीछे एक बड़ा कारण Arrhythmia (irregular heartbeat) है।
इस बारे में अपोलो अस्पताल में जाने-माने कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अखिलेश जैन ने वेबदुनिया का बाचतीच में बताया कि ऐसा नहीं है कि हार्ट अटैक आने पर मरीज की मौत हो ही जाए। मौत होने के पीछे कई दूसरे फैक्टर्स होते हैं। उन्होंने बताया कि यह निर्भर करता है कि मरीज को और कौन-कौन सी बीमारियां हैं,मसलन डायबिटीज और ब्लड प्रेशर आदि। हालांकि जिन लोगों को अटैक आता है उनकी मौत में सबसे बड़ा कारण Arrhythmia होता है।
Arrhythmia का मतलब होता है सांसों या धड़कनों का अनियमित हो जाना।
डॉक्टरों का मानना है कि दरअसल, जिम में ओवर-एक्सरसाइज या एक्सेस एक्सरसाइज करने की वजह से Arrhythmia की स्थिति बन जाती है। इस स्थिति में सांसें इरेग्यूलर यानी धड़कनें अनियमित हो जाती है। ऐसे में अगर सही समय पर एंबुलेंस या कार्डिएक ट्रीटमेंट न मिले तो व्यक्ति की मौत हो सकती है। ज्यादातर मामलों में Arrhythmia ही मौत की वजह बनता है। डॉ अखिलेश जैन ने बताया कि स्टडी कहती है जब हार्ट अटैक आता है तो 20 से 25 प्रतिशत मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं।
क्यों हो जाती है नौजवानों की मौत : जब किसी 60 साल के व्यक्ति को अटैक आता है तो उसे उतना डैमेज नहीं होता है, जितना एक नौजवान को अचानक आए अटैक में होता है, क्योंकि 60 और 70 साल के व्यक्ति की हार्ट की धमनियों में धीरे-धीरे कुछ स्तर तक ब्लॉकेज यानी पहले से ही बन जाते हैं। ऐसे में उनमें कोलेटल भी डेवलेप होता है। ऐसे में उसे अटैक आता है तो उतना डैमेज नहीं होता। जबकि कम उम्र में या नॉर्मल हार्ट में अचानक आए अटैक से आर्टरी डैमेज हो जाती है। जिससे नौजवनों को अटैक आता है तो अचानक मौत की आशंका ज्यादा रहती है।
क्या होता है हार्ट अटैक आने पर : डॉक्टर बताते हैं कि हमारा दिल जन्म से लेकर मौत तक लगातार काम करता रहता है। इसे संचालित करने के लिए ब्लड सप्लाय के लिए दिल में वायर का एक नेटवर्क होता है, जब अटैक आता है तो इस नेटवर्क का सप्लाय भी प्रभावित हो जाता है। अब निर्भर करता है कि किस केस में सिर्फ दर्द और दूसरे लक्षण आते हैं और किसमें धड़कनें अचानक से रुक जाती हैं। अगर दर्द होता है, पसीना आता है और बीपी कम होता है तो मरीज को अस्पताल जाने का वक्त मिल जाता है, लेकिन हार्ट के तारों में असर हो या धड़कन खराब हो जाती है तो समय नहीं मिलता। हालांकि ऐसे में तुरंत सीपीआर और समय पर एंबुलेंस मिल जाए तो जान बच सकती है।
लाइफस्टाइल बड़ी वजह : कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अखिलेश जैन बताते हैं कि यह सही है कि इन दिनों ज्यादातर लोगों को अटैक आ रहे हैं। लेकिन यह पिछले करीब एक दशक से हो रहा है। उनका कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें लाइफस्टाइल और तनाव शामिल हैं। ह्दय रोग एक लाइफस्टाइल बीमारी है। हालांकि बहुत सारे रिस्क फैक्टर्स होते हैं। इनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हेरिडेटरी यानी फैमिली हिस्ट्री भी हैं। उनका कहना है कि बदलती लाइफस्टाइल ने दिल का पूरा कबाड़ा किया है।
दिल की धमनियों की क्या भूमिका : डॉक्टरों के मुताबिक सर्दियों में दिल की धमनियों को ज्यादा काम करना पड़ता हैं। वैसे ही सर्दियों में दिल पर दबाव होता है, ऐसे में टैंपरेचर वैरिएशन एक बड़ा कारण है। हम गर्म बिस्तर से एक दम से ज्यादा सर्दी में चले जाते हैं। इससे दिल की नसें सिकुड़ जाती हैं। बीपी भी बढ़ जाता है। ऐसे में इस सीजन में हार्टअटैक के केस बढ़ जाते हैं।
कैसे बचें हार्ट अटैक के खतरे से
-
रोजाना 40 मिनट में 3 किमी तक वॉक करे।
-
एक हफ्ते में 300 मिनट से ज्यादा व्यायाम करना खतरनाक है : अमेरिकन हार्ट ऐसोशिएशन
-
एक्सरसाइज 3 तरह की होती है। माइल्ड, मोडेटस्ट और सिवियर।
-
इन तीनों व्यायाम में से अपनी उम्र और क्षमता के मुताबिक चुनें।
-
व्यायाम के पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
-
फूड और लाइफस्टाइल भी संयमित रखें।
-
स्मोकिंग, एल्कोहल और फास्ट फूड से दूर रहें।
-
ऑफिस और घर का तनाव न लें।
-
ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच करवाएं।
-
अपने और अपनी हॉबी के लिए समय निकालें।
edited by navin rangiyal