प्रधानमंत्री मोदी 2 दिवसीय दौरे के लिए जापान हुए रवाना, शिखर सम्मेलन में करेंगे शिरकत
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने समकक्ष शिंजो आबे के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए शनिवार को जापान के लिए रवाना हो गए। यह दो दिवसीय सम्मेलन 28 और 29 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा।
जापान रवाना होने से पहले शुक्रवार को एक बयान में मोदी ने भारत और जापान को 'विजयी युग्म’ बताया और कहा कि यह द्वीपीय देश आर्थिक और तकनीक आधुनिकीकरण के लिए भारत का सर्वाधिक मूल्यवान सहयोगी है।
उन्होंने कहा कि हमारा जापान के साथ विशेष सामरिक एवं वैश्विक गठजोड़ है। जापान के साथ हमारे आर्थिक, सामरिक सहयोग में हाल के वर्षों में पूरी तरह से परिवर्तन आया है। आज हमारा सहयोग काफी गहरा एवं उद्देश्यपूर्ण है। भारत और जापान के बीच सहयोग भारत की एक्ट ईस्ट नीति और मुक्त, खुली तथा समावेशी हिन्द प्रशांत क्षेत्र के प्रति दोनों देशों की साझी प्रतिबद्धता के मजबूत स्तम्भों पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि सितंबर 2014 में उनकी प्रधानमंत्री के रूप में पहली जापान यात्रा के बाद प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ यह 12वीं बैठक होगी। मोदी ने कहा कि हमारे बीच यह पूरक भाव ही भारत और जापान को विजयी युग्म बनाता है। जापान आज के समय में भारत के आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी आधुनिकीकरण में सबसे विश्वसनीय सहयोगी है।
उन्होंने कहा कि मुम्बई-अहमदाबाद उच्च गति गलियारा एवं समर्पित फ्रेट गलियारा जैसी परियोजनाएं दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय एवं मजबूत आर्थिक सहयोग को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि जापान हमारे देश में ‘स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहलों में आगे बढ़कर सहयोग कर रहा है। जापानी निवेशकों का भारत के आर्थिक भविष्य में भरोसा बना हुआ है।
मोदी ने कहा कि भारत विश्व स्तर पर जापान के नवोन्मेष, प्रौद्योगिकियों एवं बेहतर तौर तरीकों को महत्व देता है। इस यात्रा के दौरान उन्हें रोबोटिक्स के क्षेत्र में जापान की उच्च क्षमताओं को देखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री शिंजो आबे और दोनों देशों के कारोबारी नेताओं एवं उद्योगों के प्रमुखों से बातचीत करने का अवसर मिलेगा और भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित करेंगे।
मोदी ने बताया कि इन चर्चाओं से कारोबार, निवेश के साथ ही स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, आपदा मोचन एवं आपदाओं का सामना करने योग्य संरचना जैसे नये क्षेत्र में सहयोग करने का अवसर मिलेगा।