हंगामे और विरोध के बीच दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक, 2017 पेश
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन विधेयक पेश करने पर सत्ता पक्ष एवं प्रतिपक्ष के बीच तीखी तकरार तथा विपक्ष के बहिगर्मन के बाद शोकाभिव्यक्ति के साथ सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थिगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष कैलाश मेघवाल आसन पर आए तथा सचिव को सूचनाएं पढ़ने के निर्देश दिए। तब कांग्रेस के रमेश मीणा ने दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन विधेयक को काला कानून बताते हुए आरोप लगाया कि यह आनन-फानन में लाया जा रहा है तथा इससे साबित होता है कि सरकार पारदर्शिता नहीं चाहती। इस बीच अध्यक्ष ने गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया तथा अन्य मंत्रियों को विधेयक पेश करने के निर्देश दिए।
शोरगुल में ही कटारिया ने दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन का विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस के सदस्यों के अलावा भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी तथा निर्दलीय माणकचंद सुराणा ने जोरदार विरोध किया। अध्यक्ष ने सदस्यों से कहा कि मुझे कड़ा सोचने के लिए मजबूर न करें। इस पर भी कांग्रेस सदस्य चुप नहीं हुए तथा आसन के सामने आने लगे।
प्रतिपक्ष के उपनेता गोविन्दसिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार अध्यादेश लाने की मंशा बताए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मीडिया की आवाज दबाने के लिए लाया जा रहा है। माणकचंद सुराणा ने भी अपनी बात कहनी चाही लेकिन अध्यक्ष ने बाद में समय देने की बात कहकर उन्हें बिठा दिया। भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाहा लेकिन उसकी अनुमति नहीं दी गई।
शोरगुल के बीच ही कटारिया ने विधेयक को पेश किया। बाद में अध्यक्ष की अनुमति मिलने पर निर्दलीय सुराणा ने विधेयक पर एतराज उठाते हुए कहा कि इस विधेयक में केन्द्रीय कानून में भी संशोधन प्रस्तावित है जिसके लिए राष्ट्रपति से अनुमति जरूरी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति से अनुमति मिले बिना इस विधेयक को लाया गया तो इसका जबरदस्त विरोध किया जाएगा। सुराणा ने कहा कि आपातकाल के लिए कांग्रेस को दोषी मानते हैं लेकिन इस विधेयक से अघोषित आपातकाल लग जाएगा। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को किसी संरक्षण की जरूरत नहीं है तथा किसी ने भ्रष्टाचार किया तो कानून को काम करने देना चाहिए।
प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी तथा कांग्रेस सदस्यों ने विधेयक को काला कानून बताते हुए कहा कि इससे जनता के बीच सरकार का संदेश अच्छा नहीं जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्रसिंह राठौड़ इस बात पर जोर देते रहे कि जब बहस का अवसर आएगा तब सदस्य अपनी बात कह सकते हैं।
गृहमंत्री ने भी कहा कि विधेयक की अच्छाई और बुराई दोनों पर चर्चा के बाद ही यह पास होगा तथा तब सदस्य अपना एतराज जाहिर कर सकते हैं। शोरगुल के बीच ही कांग्रेस के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए। इस बीच भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी अपनी बात कहने पर अड़े रहे लेकिन अध्यक्ष ने बोलने की अनुमति नहीं दी। बाद में तिवाड़ी ने कहा कि मैं आसन के व्यवहार की वजह से सदन से बहिगर्मन कर रहा हूं। तिवाड़ी ने आसन के सामने आकर धरने पर बैठने की धमकी भी दी, लेकिन अध्यक्ष ने उनकी नहीं सुनी। इसके बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांवर लाल जाट, सांसद चांदनाथ, विधायक कीर्ति कुमारी सहित दिवंगत आत्माओं को दो मिनट का मौन रखकर शोक व्यक्त किया गया। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे के लिए स्थिगित कर दी।
क्या अध्यादेश में : इस अध्यादेश के तहत राजस्थान में अब पूर्व व वर्तमान जजों, अफसरों, सरकारी कर्मचारियों और बाबुओं के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा। ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पहले सरकार की मंजूरी लेना जरूरी होगा।
क्या होगा असर : जानकारों की मानें तो इस अध्यादेश के बाद भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। जब किसी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ शिकायत करना ही आसान नहीं होगा तो उनके हाथ और खुल जाएंगे और वे जमकर रिश्वतखोरी करेंगे क्योंकि उन्हें अब शिकायत का भी डर नहीं रहेगा।