Uttarakhand : 72 घंटे से जिंदगी बचाने का ऑपरेशन जारी, ड्रोन से लापता लोगों की तलाश, सामने आई तबाही आने की वजह
चमोली। उत्तराखंड में आई तबाही का चौथा दिन है। चमोली हादसे में हुए नुकसान के बाद अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। एनटीपीसी की क्षतिग्रस्त तपोवन प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और अब मरीन कमांडो का दस्ता भी पहुंच चुका है।
खबरों के मुताबिक अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 174 लोग लापता बताए जा रहे हैं। तपोवन के पास सुरंग में फंसे लोगों को ड्रोन की सहायता से तलाशा जा रहा है।
चमोली हादसे के बाद 600 से अधिक सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जवान बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। ये जवान बाढ़ से प्रभावित और संपर्क से बाहर हुए गांवों में खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं। तपोवन की टनल से जेसीबी की मशीनें लगातार मिट्टी निकालने का काम कर रही है।
रिसर्च में सामने आई वजह : वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के विज्ञानियों का प्रारंभिक आकलन है कि दो दिन पहले उत्तराखंड में आकस्मिक बाढ़ झूलते ग्लेशियर के ढह जाने की वजह से आई। झूलता ग्लेशियर एक ऐसा हिमखंड होता है जो तीव्र ढलान के एक छोर से अचानक टूट जाता है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने कहा कि रौंथी ग्लेशियर के समीप एक झूलते ग्लेशियर में ऐसा हुआ, जो रौंथी/मृगुधानी चौकी (समुद्रतल से 6063 मीटर की ऊंचाई पर) से निकला था। हिमनद वैज्ञानिकों की दो टीम आपदा के पीछे के कारणों का अध्ययन कर रही हैं। उन्होंने मंगलवार को हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण भी किया।