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Last Modified: शनिवार, 17 सितम्बर 2022 (21:51 IST)

गृहमंत्री अमित शाह बोले- वोट बैंक राजनीति के कारण 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' नहीं मनाया गया

Amit Shah
हैदराबाद। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पर परोक्ष हमला करते हुए शनिवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेलंगाना में 'वोट बैंक की राजनीति' के कारण 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं मनाया गया था, जबकि कुछ नेताओं ने ऐसा करने का वादा किया था।

शाह ने कहा कि वह यह दिवस मनाने का फैसला करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहते हैं। वे ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ पर यहां आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। हैदराबाद राज्य निजाम शासन के अधीन था और पुलिस ने भारत में इसका विलय कराने के लिए ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम से अभियान चलाया था, जो 17 सितंबर, 1948 को पूरा हुआ था।

शाह ने कहा, क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि सरकार की भागीदारी से ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाया जाए, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि 75 साल बीत गए, मगर सत्ता संभालने वाले लोग वोट बैंक की राजनीति के कारण ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का साहस नहीं जुटा पाए।

उन्होंने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा, कई लोगों ने चुनावों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुक्ति दिवस मनाने का वादा किया, लेकिन जब वे सत्ता में आए, तो रजाकारों (निजाम शासन के सशस्त्र समर्थकों) के भय से अपने वादों से मुकर गए।

शाह ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह इस बात से हैरान नहीं, अपितु खुश हैं कि जब मोदी ने यह दिन मनाने का फैसला किया, तो सभी ने इसका अनुसरण किया।

गृहमंत्री ने ‘मुक्ति दिवस’ न मनाने वालों पर हमला करते हुए कहा, वे जश्न मनाते हैं, लेकिन ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के रूप में नहीं, उन्हें अब भी डर है। मैं उनसे कहना चाहता हूं, अपने दिल से डर निकाल दो और रजाकार इस देश के लिए फैसले नहीं ले सकते क्योंकि इसे 75 साल पहले आजादी मिल चुकी है।

उन्होंने कहा कि मोदी ने तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह फैसला किया। शाह ने हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया। उन्होंने कहा कि यदि सरदार पटेल नहीं होते, तो हैदराबाद को मुक्त कराने में कई और साल लग जाते।

उन्होंने कहा कि पटेल जानते थे कि जब तक निजाम के रजाकारों को नहीं हराया जाता, तब तक अखंड भारत का सपना साकार नहीं होगा। शाह ने कोमराम भीम, रामजी गोंड, स्वामी रामानंद तीर्थ, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव, एम चेन्ना रेड्डी और स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले कई अन्य लोगों को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा कि ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का मकसद आजादी के संघर्ष की कहानी को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में मुक्ति संग्राम पर शोध होना चाहिए। शाह ने हैदराबाद राज्य में निजाम शासन के दौरान ‘रजाकारों’ के अत्याचारों का जिक्र किया। उस समय तेलंगाना, वर्तमान महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ जिले भी हैदराबाद में शामिल थे।

उन्होंने कहा कि वह तेलंगाना के लोगों और इस दिन को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ नहीं कह सकने वाले लोगों को बताना चाहते हैं कि हजारों शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं देना उनके साथ विश्वासघात है। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के परिवहन मंत्री बी श्रीरामुलु ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

रेड्डी ने कहा कि पहले केंद्रीय गृहमंत्री पटेल ने 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद में तिरंगा फहराया था और 74 साल बाद मौजूदा गृहमंत्री शाह ने ऐसा किया। शिंदे ने बताया कि वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद छत्रपति संभाजी नगर से हैदराबाद पहुंचे हैं।
 
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हर साल औरंगाबाद छत्रपति संभाजी नगर में ‘मुक्ति संग्राम दिवस’ कार्यक्रम में भाग लेते हैं और राष्ट्रध्वज फहराते हैं। इससे पूर्व, केंद्रीय गृहमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और परेड का निरीक्षण किया। इस अवसर पर विभिन्न लोक कलाएं भी प्रस्तुत की गईं।(भाषा)
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