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Last Modified: मंगलवार, 4 जुलाई 2023 (22:18 IST)

PK ने किया UCC का विरोध, बोले- इसके समर्थन में गोलवलकर भी नहीं थे, अयोध्या और आर्टिकल 370 से भी बड़े होंगे परिणाम

PK ने किया UCC का विरोध, बोले- इसके समर्थन में गोलवलकर भी नहीं थे, अयोध्या और आर्टिकल 370 से भी बड़े होंगे परिणाम - UCC impact to be bigger than that of Article 370, Ayodhya :  Prashant Kishore
पटना। Prashant Kishore on UCC : देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code ) को लेकर नई बहस छिड़ी है। इस बीच इस पर राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि अगर हम गुरुजी (पूर्व आरएसएस प्रमुख एम एस गोलवलकर) के साक्षात्कार पढ़ें, तो उन्होंने कभी भी किसी भी प्रकार की एकरूपता लागू करने का समर्थन नहीं किया था।  
 
पीके ने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) के कार्यान्वयन के "परिणाम, अच्छे या बुरे" हों, लेकिन भाजपा के अन्य मुख्य एजेंडे जैसे अयोध्या और अनुच्छेद 370 (Article370) से 'कहीं अधिक बड़े' होंगे। पीके ने कहा कि 
 
किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान को संभालने के बाद प्रसिद्ध हुए थे। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि न तो देश के संस्थापक और न ही संघ के विचारक कभी इसके (देश पर एकरूपता थोपने के) पक्ष में थे।
 
उन्होंने कहा कि देश की जो विविधता है उसे देखते हुए देश में यूसीसी लागू करना इतना आसान नहीं है जितना लग रहा है, लेकिन यह वर्षों से भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है।
 
किशोर ने कहा कि अनुच्छेद 370 कश्मीर से जुड़ा मामला था। भले ही मानसिक तौर पर वह पूरे देश से जुड़ा रहा हो। लेकिन सीधे तौर पर जो लोग उससे प्रभावित हुए, वे एक राज्य के लोग थे। राम मंदिर बन रहा, उससे भी पूरे देश की जनता प्रभावित नहीं होती है। उसके पक्ष और विपक्ष में लोग थे, वे लोग प्रभावित हुए। लेकिन यूसीसी का जो मुद्दा है वह सीधे तौर पर पूरे देश की जनता को प्रभावित करता है। इसे लागू करना ज्यादा कठिन है। 
 
उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी देश में लागू होता है तो इसके परिणाम या दुष्परिणाम भी उतने ही बड़े हो सकते हैं।
 
उस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि भाजपा अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत करने के लिए इस मुद्दे को उठा रही है, उन्होंने कहा कि मैं यह बताना चाहूंगा कि न तो देश के संस्थापक और न ही संघ के विचारक कभी इसके (देश पर एकरूपता थोपने के) पक्ष में थे।
 
किशोर ने कहा कि अगर हम गुरुजी (पूर्व आरएसएस प्रमुख एम एस गोलवलकर) के साक्षात्कार पढ़ें, तो उन्होंने कभी भी किसी भी प्रकार की एकरूपता लागू करने का समर्थन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के लिए एकता आवश्यक है। लेकिन अगर किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक एकरूपता थोपी गई तो यह अच्छा नहीं होगा। भाषा Edited By : Sudhir Sharma
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