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Last Modified: शुक्रवार, 10 मार्च 2023 (17:39 IST)

कश्मीर में पासपोर्ट पाने के लिए हजारों कतार में, लेकिन...

कश्मीर में पासपोर्ट पाने के लिए हजारों कतार में, लेकिन... - Thousands queue up to get passports in Kashmir
जम्मू। कश्मीर में उन लोगों के लिए पासपोर्ट हासिल करना बड़ा ही मुश्किल काम है जिनका कोई सगा-संबधी आतंकी रहा हो या फिर आतंकी गतिविधियों से दूर का रिश्ता हो। यही नहीं कभी पत्थरबाज रहे और पत्थरबाजी के बीच कैमरों की नजर में आए व्यक्तियों के लिए भी अब पासपोर्ट हासिल करना 'चांद पर जाने' जैसा है।

हालांकि इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद के बाद श्रीनगर के रीजनल पासपेार्ट अधिकारी देवेंद्र कुमार ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि पासपोर्ट जारी करने के लिए नियमों के मुताबिक पुलिस वेरिफिकेशन पूरा होना एक जरूरी शर्त है और उसके बिना पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता।

यह सच है कि सैकड़ों ही नहीं बल्कि हजारों ऐसे कश्मीरी आज भी पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं। सब पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की तरह पहुंच वाले नहीं हैं जो पासपोर्ट हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकें। महबूबा की 80 वर्षीय मां गुलशन नजीर को उस समय पासपोर्ट मिला था जब वह जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट पहुंची थीं और अब महबूबा मुफ्ती को पासपोर्ट जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने का समय दिया है।

बड़ी रोचक बात मुफ्ती परिवार को पासपोर्ट जारी करने के लिए लगाई जाने वाली अड़चनों की यह थी कि जांच अधिकारी का कहना है कि मुफ्ती परिवार को पासपोर्ट जारी करना देश की एकता और अखंडता को खतरे के समान है।

ऐसी ही परिस्थितियों से वे नागरिक भी गुजर रहे हैं जो पासपोर्ट चाहते हैं पर उनका कोई दूर का रिश्तेदार या तो कभी आतंकी रहा है या फिर आतंकी गतिविधियों के लिए नामजद किया गया था। और जो पूर्व आतंकी हैं वे तो पासपोर्ट के बारे में सोच भी नहीं सकते।

यही नहीं 31 जुलाई 2021 को सीआईडी विभाग की स्पेशल ब्रांच के एसएसपी द्वारा जारी आर्डर संख्या एसबीके/सीएस/सुर्कलर/2021/589-600 ने उन आवेदकों की मुसीबतों को और बढ़ाया हुआ है जिसमें पासपोर्ट वेरिफिकेशन करने वालों को सख्त हिदायत दी गई थी कि जांच के दौरान वे पत्थरबाजों के रिकॉर्ड को भी जांचें और पत्थरबाजी के दौरान कैमरों में दिखाई देने वाले नागरिकों की भी तह तक जांच करें।

नतीजतन सैकड़ों उन आवेदकों को यह साबित करना मुश्किल हो रहा है, जो कैमरों में दिखते हैं कि वे किसी प्रकार की पत्थरबाजी में शामिल नहीं थे और न ही उनका उन रिश्तेदारों से कोई नाता है, जो कभी आतंकी रहे हों या फिर किसी आतंकी गतिविधि में नामजद किए गए हों।

वैसे इतना जरूर है कि पासपोर्ट पाने के लिए सीआईडी विभाग की वेरिफिकेशन का जख्म कश्मीर में तब से नागरिकों को सहन करना पड़ रहा है, जब से आतंकवद फैला है और अब तो इसका दर्द राजनीतिज्ञों को भी महसूस होने लगा है।
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