कवच का ब्रेकिंग दक्षता परीक्षण सफल, रेड सिग्नल से 30 मीटर पहले रुका इंजन
Kavach break testing : भारतीय रेल ने 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले एक सेमी-हाई स्पीड इंजन में ट्रेनों की टक्कर रोधी प्रणाली कवच के ब्रेकिंग मापदंडों की दक्षता की जांच की। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल ने कहा कि हालिया परीक्षण के परिणाम आशाजनक रहे हैं।
अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित कवच प्रणाली ट्रेन चालक के समय पर हरकत में आने में विफल रहने पर आपात स्थिति में स्वत: ब्रेक लगा सकती है। भारतीय रेलवे परिचालन सुरक्षा बढ़ाने के लिए अपने नेटवर्क पर इस प्रणाली को लागू करने की प्रक्रिया में है।
आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर मध्य रेलवे के उप मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर कुश गुप्ता की देखरेख में एक सेमी-हाई स्पीड इंजन डब्ल्यूएपी-5 को कवच प्रणाली से लैस किया गया और 19 जनवरी को पलवल-मथुरा खंड पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से इसका परिचालन किया गया।
उन्होंने कहा कि इंजन चालक को आगे लाल सिग्नल देखने पर ब्रेक नहीं लगाने के लिए कहा गया था। हम यह देखना चाहते थे कि क्या कवच प्रणाली अपने आप ब्रेक लगाएगी और इंजन को सिग्नल से पहले रोक देगी।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले इंजीनियरों और अधिकारियों को यह जानकर खुशी हुई कि इंजन लाल सिग्नल से 30 मीटर पहले रुक गया। यह अन्य सुरक्षा मानकों पर भी खरा उतरा।
डब्ल्यूएपी-5 लोकोमोटिव 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री डिब्बों को खींचने में सक्षम है और इसका उपयोग शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में किया जाता है।
परीक्षण सुबह 10 बजे उत्तर प्रदेश के वृन्दावन से शुरू हुआ और तय समय के मुताबिक डाउन लाइन दिशा में हरियाणा के पलवल में दोपहर एक बजकर 20 मिनट तक पूरा हो गया। इस प्रक्रिया को उत्तर प्रदेश लाइन दिशा में पलवल से वृन्दावन तक दोपहर 2 बजे से 3 बजकर 35 मिनट के बीच दोहराया गया। अब मंडल जल्द यात्री डिब्बों के साथ ट्रेनों पर परीक्षण दोहराएगा। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta