शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Supreme Court will consider personal law matter
Written By
Last Updated : सोमवार, 20 मार्च 2023 (23:51 IST)

सुप्रीम कोर्ट पर्सनल लॉ मामले पर करेगा विचार, मामले की होगी पड़ताल

supreme court
नई दिल्ली। जब बाल विवाह निषेध अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल लॉ के बीच टकराव हो, जो एक मुस्लिम लड़की को 15 साल की उम्र में युवावस्था प्राप्त करने पर शादी करने की अनुमति देता है, तो कौन लागू होगा? उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले की पड़ताल करेगा।
 
शीर्ष अदालत ने हादिया अखिला और सफीन जहां मामले में 2018 के अपने फैसले में कहा था कि युवावस्था प्राप्त करना वैध मुस्लिम विवाह के लिए एक शर्त है। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006, दोनों के तहत भारत में विवाह की कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष है।
 
कानूनी सवाल एक लड़की द्वारा उठाया गया है जिसने 16 साल की उम्र में एक मुस्लिम लड़के के साथ शादी की थी, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसके खिलाफ कथित अपहरण के लिए दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इनकार कर दिया था और इस आधार पर शादी को खारिज करते हुए लड़की को आश्रय गृह भेज दिया था कि वह वयस्क नहीं थी।
 
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ को लड़की की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने बताया कि वह अब बालिग हो गई है, उसे आश्रय गृह से मुक्त कर दिया गया है और वह लड़के के साथ रह रही है। पीठ ने पाराशर को लड़की की ओर से एक हलफनामा दायर करने को कहा और मामले को 2 सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
 
सुनवाई के दौरान, पाराशर ने कहा कि इस मामले में कानून का एक महत्वपूर्ण सवाल शामिल है। पर्सनल लॉ, मुस्लिम लड़की को 15 साल की उम्र में युवावस्था प्राप्त करने पर अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की अनुमति देता है, वहीं दूसरी तरफ संसद द्वारा पारित कानून बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, इंडियन मेजोरिटी एक्ट, 1875 हैं।
 
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जहां व्यक्तिगत धार्मिक अधिकार शामिल हैं, वहां कौन सा कानून लागू होगा? हस्तक्षेप याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आनंदिता पुजारी ने कहा कि कानून का समान प्रश्न प्रधान न्यायाधीश की अदालत के समक्ष लंबित है।
 
पीठ ने कहा कि वह कानून के सवाल को खुला छोड़ रही है और इस पर गौर करेगी। पाराशर ने कहा कि यह कानूनी सवाल इस मामले से निकलता है और वह इस मुद्दे पर अदालत की सहायता करना चाहेंगे जिसके बाद अदालत इस पर अपना फैसला सुना सकती है। पीठ ने कहा कि वह लड़की द्वारा दाखिल हलफनामे पर गौर करने के बाद सभी पहलुओं पर गौर करेगी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
ये भी पढ़ें
'अगर मेरा रिमोट कंट्रोल किसी और के पास है तो फिर...', PM मोदी पर कांग्रेस अध्यक्ष का पलटवार